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नयी इबारत लिखेगा कृषि अनुसंधान संस्थान
बरही/हजारीबाग : गौरिया करमा कृषि अनुसंधान संस्थान आइसीएआर की महत्वपूर्ण इकाई है. बरही के गौरिया करमा में 1000 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान बनेगा. यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आता है, जो देश में कृषि अनुसंधान, शिक्षा तथा प्रसार को गति देनेवाली भारत सरकार की शीर्ष स्वायत्तशासी संस्था है. देश […]
बरही/हजारीबाग : गौरिया करमा कृषि अनुसंधान संस्थान आइसीएआर की महत्वपूर्ण इकाई है. बरही के गौरिया करमा में 1000 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान बनेगा. यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आता है, जो देश में कृषि अनुसंधान, शिक्षा तथा प्रसार को गति देनेवाली भारत सरकार की शीर्ष स्वायत्तशासी संस्था है.
देश में 100 से अधिक शोध संस्थान, 71 कृषि विश्वविद्यालय तथा 642 कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं. परिषद के कार्य क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल विज्ञान, पशु विज्ञान, मात्स्यिकी, बागवानी विज्ञान, बायो इंजीनियरिंग शामिल हैं. गौरिया करमा कृषि अनुसंधान संस्थान में उपरोक्त विषयों की शिक्षा व शोध की व्यवस्था होगी.
गौरिया करमा का परिचय
बरही प्रखंड अंतर्गत गौरिया करमा पहले से ही देश का एक महत्वपूर्ण पशुपालन प्रक्षेत्र रहा है. लगभग 2400 एकड़ में फैले इस प्रक्षेत्र में रेड सिंधी की लुप्त होती नस्ल को बचाने की योजना पर बरसों काम किया जाता रहा है. इस प्रक्षेत्र में सूकर पालन भी होता था.
पशुचारा का उत्पादन होता था. बिहार पशुपालन घोटाला के बाद गौरिया करमा प्रक्षेत्र की स्थिति दयनीय हो गयी. 2006 में प्रक्षेत्र की 1700 एकड़ भूमि पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के बीज उत्पादन एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई. आइसीएआर के राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निर्माण के लिए बिरसा कृषि उत्पादन अनुसंधान क्षेत्र की एक हजार एकड़ भूमि स्थानांतरित की गयी है. गौरिया करमा कृषि पशुपालन के क्षेत्र में पहले से ही अहम स्थान रखता आया है. नया संस्थान बन जाने से इस क्षेत्र का महत्व और बढ़ जायेगा.
गौरिया करमा की तसवीर बदलेगी
गौरिया करमा कृषि अनुसंधान संस्थान का परिसर 1000 एकड़ का होगा. परिसर के अंतर्गत कृषि से संबंधित विभिन्न विषयों की स्नातकोत्तर शिक्षा व पीएचइडी के लिए अनुसंधान की व्यवस्था होगी. परिसर में शिक्षण संस्थान, आवासीय परिसर, प्रशासनिक भवन, मार्केट स्थल, व कई संस्थान का निर्माण होगा. इस संस्थान के आने से गौरिया करमा की तसवीर बदल जायेगी. क्षेत्र का शहरीकरण होगा.
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