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प्रेम व पीड़ा के कवि विनोद कुमार राज विद्रोही

3 हैज1 में विनोद कुमार राज विद्रोही.हजारीबाग. युवा कवि डॉ विनोद कुमार राज विद्रोही की दो पुस्तक हाल ही में प्रकाशित हुई है. पहली पुस्तक ओह कावेरी सिर्फ एक बार कहा होता (कहानी) और दूसरी क्योंकि मैं लकड़ी हूं (कविता) की है. विनोद कुमार राज विद्रोही काफी लंबे अरसे से लेखन में सक्रिय हैं. कुछ […]

3 हैज1 में विनोद कुमार राज विद्रोही.हजारीबाग. युवा कवि डॉ विनोद कुमार राज विद्रोही की दो पुस्तक हाल ही में प्रकाशित हुई है. पहली पुस्तक ओह कावेरी सिर्फ एक बार कहा होता (कहानी) और दूसरी क्योंकि मैं लकड़ी हूं (कविता) की है. विनोद कुमार राज विद्रोही काफी लंबे अरसे से लेखन में सक्रिय हैं. कुछ अलग हट कर करने का जोश है. कविता, कहानी के अलावा चित्रकला,कार्टून भी बनाते हैं. इनके कार्टून चर्चित रहे हैं. इनकी कविता एवं कहानियां ग्रामीण जीवन परिवेश से उभर कर आती हैं. आम आदमी की पीड़ा, सामाजिक विसंगतियों के विरुद्ध संघर्ष एवं प्रेम इनकी रचनाओं में महसूस किया जा सकता है. कवि जो बात कहना चाहता है, साहस के साथ कहता है. यह उनकी क्षमता का द्योतक है.अब तक विद्रोही की 17 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हैं. समय-समय पर इनकी रचनाएं देश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है.

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