सिचाई के अभाव में बंजर पड़ा है सैकड़ों एकड़ जमीन 20 हैज 80 चैथी गांव के पास मिट्टी से भरा नहर.चौपारण. प्रखंड के सैकड़ों गांवों के जमीन से होकर गुजरा नहर महज शोभा बन कर रह गया है. नहर का निर्माण 1975-1980 के बीच हुआ है. लेकिन 35 साल बीत जाने के बाद भी इस नहर का जीर्णोद्धार नहीं हो सका है. यह नहर बरसाती मेढक की तरह बन कर रह गया है. अब तक किसी जनप्रतिनिधि ने नहर के जीर्णोद्धार के प्रति आगे आने का काम नहीं किया है. इस प्रखंड के अधिकांश लोग कृषि पर आश्रित हैं. नहर में मात्र बरसात के महीने में ही पानी रहता है. बरसात खत्म होते ही नहर का पानी सुख जाता है. पानी नहीं रहने के कारण यहां के किसान अधिक मात्रा में रवि फसल नहीं लगा पाते हैं.कहां से आता था नहर में पानी : इस नहर में चतरा जिला के बक्सा डैम से पानी की आपूर्ति होती थी. किसानों के मुताबिक करीब तीन-चार साल तक नहर का पानी नसीब हुआ. उसके बाद नहर पर आवागमन के लिए बनायी गयी पुलिया जहां-तहां टूट गयी. जिसका मरम्म्त सरकार द्वारा समय पर कराये जाने के कारण धीरे-धीरे नहर मिट्टी से भरता चला गया. नहर में पानी का आना बंद हो गया. किसान चिल्लाते-चिल्लाते परेशान हो गये, पर नहर की मरम्मत नहीं की गयी. चुनावी मुद्दा बनता रहा है नहर में पानी कि मांग : जब-जब लोकसभा व विधानसभा का चुनाव हुआ है. किसानों द्वारा संभावित प्रतिनिधियों के बीच जोरदार ढंग से यह मुद्दा उठता रहा. लेकिन यह केवल चुनावी मुद्दा ही बन कर रह गया है. किसानों ने कहा कि वादे तो सभी ने किये पर पूरा किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं किया. इस बार के विधान सभा चुनाव में प्रखंड के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुदा इस नहर से किसानों के खेतों सिचाई के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध कराना रहेगा. किसान वर्ग इसकी तैयारी में लगे हुए हैं.कहां से प्रखंड में प्रवेश किया है नहर : नहर का प्रवेश दैहर गांव से चौपारण प्रखंड में हुआ है.जहां से नहर सैकड़ों गांवों की जमीन से होकर गुजरा है. चौपारण को छोड़कर इटखोरी प्रखंड के किसानों को इस नहर का भरपूर लाभ मिल रहा है.
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लीड… 35 साल बाद भी नहीं हुआ नहर का जीर्णोद्धार, किसान परेशान
सिचाई के अभाव में बंजर पड़ा है सैकड़ों एकड़ जमीन 20 हैज 80 चैथी गांव के पास मिट्टी से भरा नहर.चौपारण. प्रखंड के सैकड़ों गांवों के जमीन से होकर गुजरा नहर महज शोभा बन कर रह गया है. नहर का निर्माण 1975-1980 के बीच हुआ है. लेकिन 35 साल बीत जाने के बाद भी इस […]
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