हजारीबाग : चुरचू प्रखंड के धनसरिया गांव निवासी प्रदिलीप खलखो (30) का शव गत 10 अक्तूबर को हुरहुरू में मिला था. इस घटना के बाद जब प्रदिलीप के शव को उसकी पत्नी व बच्चे धनसरिया गांव के सेमेट्री में रविवार को दफनाने ले गये, तो उसके भाई समेत गांववालों ने दफनाने नहीं दिया और शव के साथ सभी को लौटा दिया. इस घटना के आहत प्रदिलीप की पत्नी व बच्चे शव को वैन में लेकर वापस सदर अस्पताल पहुंचे, जिसके बाद शव मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष मो खालिद को सौंपा गया. पुलिस प्रशासन के निर्देश के इंतजार में शव को सदर अस्पताल में रखा गया है.
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क्या है मामला: जानकारी के अनुसार 10 अक्तूबर को शव मिलने के बाद मुर्दा कल्याण समिति की ओर से शव को सदर अस्पताल लाया गया था. 12 अक्तूबर को मृतक की शिनाख्त उसकी पत्नी अन्नपूर्णा खलखो ने सदर अस्पताल जाकर की थी. शव क्षत-विक्षत था. पत्नी ने बेल्ट व कपड़े से उसकी पहचान की थी. बाद में जब वह शव को दफनाने गांव पहुंची, तो प्रदिलीप के भाई पॉल इमानुल खलखो ने शव दफनाने से मना कर दिया. उसके अनुसार शव उसके भाई का नहीं है. गांव के लोगों का भी यही कहना था. बाद में पत्नी व बच्चों को शव लेकर वापस सदर अस्पताल लौटना पड़ा.
पत्नी की आंखों में आंसू, बच्चे बदहवास : शव रविवार की देर शाम तक सदर अस्पताल स्थित मुर्दा घर में पड़ा हुआ था. पत्नी और बच्चे देर शाम बदहवास थे. पिता का सिर से साया उठने के बाद बच्चे इधर-उधर टकटकी लगा देख रहे थे. पुत्र प्रेम खलखो (नौ), अश्विनी खलखो (सात) पुत्री प्रियंका खलखो (चार) मां से चिपके हुए थे. वहीं मां की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. अन्नपूर्णा खलखो ने बताया कि उनकी स्थिति दयनीय है. वह कहां फरियाद करे. कहां जाये. अन्नपूर्णा प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रही है.