जिस तरह से केंद्र सरकार कॉरपोरेट घरानों, बड़े उद्योगपतियों के ऋण को एनपीए कर माफ कर रही है, इससे देश को भारी नुकसान हो रहा है. जन विरोधी बैंकिंग सुधार से आम जनता व कर्मचारी परेशान हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों के निजीकरण का विरोध करते हैं. एसोसिएशन के संयुक्त सचिव कन्हैया सिंह ने कहा कि आम आदमी को बैंकों से ऋण नहीं मिल रहा है, जबकि बड़े उद्योगपतियों का ऋण माफ किया जा रहा है. बैंक शुल्क में वृद्धि का विरोध किया. बिंदेश्वर प्रसाद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बैंक लोन एनपीए वसूली में संसदीय समिति की अनुशंसा सरकार लागू करे. बैंकों के बेड लोन की वापसी के लिए कडी कार्रवाई हो. एसोसिएशन के पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि प्रस्तावित एफआरडीआइ बिल को वापस लिया जाये.
बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करने की बात कही गयी. सुबोध कुमार शर्मा ने कहा कि सभी संवर्गों में उचित नियुक्ति और कर्मियों से संबंधित मुद्दे का निष्पादन किया जाये. यहां यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के किशोर कुमार सिंह, नासीर, दिनेश कुमार दास, दिनेश्वर राणा, जीतेंद्र प्रसाद, अशोक कुमार, विवेक दीक्षित, विशाल कुमार, राहुल वर्मा, एमडी अदीब हसन, मुकेश कुमार, राहुल झा, धर्मवीर, दीपक कुमार समेत लगभग 38 बैंकों के प्रतिनिधियों ने सभा को संबोधित किया.