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विश्व विधवा दिवस : गम व मुश्किलों में निभा रहीं मां व पिता का फर्ज, हर मुश्किलों से लड़ते हुए बच्चों को पहुंचायी मुकाम पर

उन विधवा महिलाओं का कष्ट वही महिला समझती है. जिसे इस दौर से गुजरना पड़ता है. पति की मौत के बाद किस प्रकार कष्टों में जीती हैं. मुश्किलों के बीच अपने बच्चों की परवरिश करती हैं. हर गम को अपने भीतर जब्ज कर परिवार व समाज के बीच दुख उजागर नहीं करती है. गम व मुश्किलों के बीच जीते हुए बच्चों को न सिर्फ बेहतर परवरिश देती हैं. बल्कि उन्हें पढ़ा लिखा कर अच्छे मुकाम तक पहुंचाती हैं. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि 23 जून को विश्व विधवा दिवस है. प्रभात खबर की यह प्रस्तुति विधवा महिलाओं पर है, जो आज समाज में किस प्रकार रहते हुए अपने बच्चों व घर परिवार की देखरेख कर रही हैं. प्रभात खबर ने ऐसे ही कुछ विधवा महिलाओं से उनके संघर्ष की कहानी व बच्चों की परवरिश के संबंध में बात की है.

गुमला : उन विधवा महिलाओं का कष्ट वही महिला समझती है. जिसे इस दौर से गुजरना पड़ता है. पति की मौत के बाद किस प्रकार कष्टों में जीती हैं. मुश्किलों के बीच अपने बच्चों की परवरिश करती हैं. हर गम को अपने भीतर जब्ज कर परिवार व समाज के बीच दुख उजागर नहीं करती है. गम व मुश्किलों के बीच जीते हुए बच्चों को न सिर्फ बेहतर परवरिश देती हैं. बल्कि उन्हें पढ़ा लिखा कर अच्छे मुकाम तक पहुंचाती हैं. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि 23 जून को विश्व विधवा दिवस है. प्रभात खबर की यह प्रस्तुति विधवा महिलाओं पर है, जो आज समाज में किस प्रकार रहते हुए अपने बच्चों व घर परिवार की देखरेख कर रही हैं. प्रभात खबर ने ऐसे ही कुछ विधवा महिलाओं से उनके संघर्ष की कहानी व बच्चों की परवरिश के संबंध में बात की है.

पति की हत्या के बाद मुश्किलों से तीन बेटों को पढ़ाया

पालकोट प्रखंड के गांधी नगर निवासी पूर्व शिक्षक की पत्नी मीना देवी आज से 27 साल पूर्व अपने तीन बेटे महीपाल सिंह, भूपाल सिंह व देवपाल सिंह का बहुत मुश्किल से लालन पालन कर इस मुकाम में पहुचांयी कि तीनों बेटे आज समाज में अपने नाम से जाने जाते हैं. आज से 27 साल पूर्व स्व गोपाल सिंह राजकीय मध्य विद्यालय चरकाटांगर गुमला से पढ़ाने के बाद घर लौट रहे थे. उस समय करीब 12 बजे पूर्वाह्न सेमरा जंगल के पास कुछ अपराधियों द्वारा चाकू मार कर हत्या कर दी गयी थी. उस समय शिक्षक का बड़ा बेटा कक्षा छह, मंझला बेटा कक्षा चार और सबसे छोटा बेटा कक्षा दो में आरसी मध्य विद्यालय करौंदाबेड़ा में पढ़ता था. बहुत ही मुश्किल से तीनों बच्चों को पढ़ाई करवाने के बाद आज एक सबसे बड़ा बेटा पत्रकार है. दूसरा बेटा अभी बुंडू में टीटीसी कर रहा है और सबसे छोटा बेटा मां के पास रह कर पढ़ाई कर रहा है. मां सिमडेगा टीचर ट्रेनिंग कॉलेज में नौकरी करती है.

घाघरा : राजकुमारी ने बेटे को पढ़ा कर टीचर बनाया

घाघरा प्रखंड मुख्यालय की राजकुमारी देवी विषम परिस्थिति में अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर अच्छे मुकाम पर पहुंचायी. वर्तमान में राजकुमारी का बेटा विनोद सिंह हाई स्कूल के शिक्षक के रूप में लोहरदगा जिला में कार्यरत है. राजकुमारी ने कहा 2008 में उसके पति देवेंद्र सिंह की मौत बीमारी के कारण हो गयी थी. जिसके बाद से स्थिति दयनीय हो गयी. पुश्तैनी जमीन को बेच कर बेटा को पढ़ाया और अब विनोद सिंह इकोनॉमिक्स के अच्छे टीचर बन कर उभरे हैं. विनोद सिंह ने बताया कि वह बंगाल में प्लस टू टीचर के रूप में 2018 में पास हुए. जहां लगभग एक साल नौकरी करने के बाद झारखंड में हाइस्कूल की वैकेंसी निकली. जिसमें विनोद ने सफलता हासिल की और बंगाल में प्लस टू शिक्षक की नौकरी से रिजाइन कर झारखंड के हाई स्कूल में योगदान दे रहे हैं.

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