डुमरी प्रखंड की करनी पंचायत में बिरहोर कॉलोनी है. जहां आदिम जनजाति के 17 बिरहोर परिवार रहते हैं. इनके रहने के लिए जर्जर आवास है. डांड़ी का पानी पीते हैं. शिक्षा की कमी है. रोजगार का कोई साधन नहीं है. गांव के प्रकाश बिरहोर, चिंता बिरहोरिन, सुमन बिरहोर, निशा बिरहोरिन, रंगू बिरहोर, लगुन बिरहोर ने बताया कि हमलोगों को सरकार द्वारा करीब 15 वर्ष पूर्व करमदोन गांव के बाहर एक बिरहोर कॉलोनी बना कर बसाया गया था.
जहां हमलोगों को रहने के लिए बिरसा आवास मिला था. वह आवास अब जर्जर हो चुका है. हमलोगों के पास जीवन बसर करने के लिए जमीन जायदाद नहीं है. ना ही किसी प्रकार के स्वरोजगार के साधन है. गांव के बच्चे 5वीं व 6वीं तक पढ़ाई कर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य कमाने चले जाते हैं.
सरकार हमारे स्वरोजगार के लिए बकरी, सूअर, मुर्गी, गाय पालन योजना का लाभ दें. ताकि हम सभी लोग स्वरोजगार कर अच्छे से जीवन जी सके. जिससे हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकें. हमलोग का पुस्तैनी काम रस्सी बनाने का था. परंतु बाजार में प्लास्टिक की रस्सी आने के बाद हमारे रस्सी का व्यवसाय का काम बंद हो गया.
जंगली कंद मूल व फल फूल खाते हैं. जिंदगी में रोजाना घर में नमक, तेल, साबुन सहित अन्य जरूरत की चीजों की आवश्यकता पड़ती है. जिसके लिए रोजगार नहीं के कारण हमलोग आसपास गांवों में जाकर वहां रेजा कुली व मजदूरी करते हैं और काम नहीं रहता है, तो दूसरे गांव या शहर काम की तलाश में चले जातें हैं.
समाजसेवी राजीप तिर्की ने बताया कि बिरहोर कालोनी के आवास, पानी, रोजगार आदि समास्याओं को सुना है. उनके कहने पर पहल करते हुए मैंने गुमला विधायक भूषण तिर्की से 13 आवास व पेयजल के लिए चापाकल की अनुशंसा करा कर उन लोगों के लिए बिरसा आवास स्वीकृत कराया हूं.
पेयजल के लिए एक चापाकल खुदवा दिया हूं. इसके साथ ही प्रखंड में सभी आदिम जनजाति परिवारों के लिए आवास मिले. मैं इसके लिए प्रयासरत हूं. एसडीओ प्रीति किस्कू ने कहा कि पंचायत सेवक व जेएसएलपीएस की टीम को गांव भेजूंगी. वे लोग उनके साथ बैठक करेंगे. प्रस्ताव लायेंगे. जानेंगे कि वे लोग किस तरह के स्वरोजगार में रूचि रखते हैं. उसी के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जायेगी.