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गुमला जिले में गहराने लगा है जल संकट

दुर्जय पासवान गुमला : जैसे-जैसे गर्मी चढ़ रही है, गुमला जिले में जल संकट गहराता जा रहा है. गहराते जल संकट के साथ गुमला की जनता भी हलकान है. अप्रैल माह के आगाज में यह हाल है, तो मई व जून माह में क्या होगा, यह सोच कर चिंता बढ़ती जा रही है. गुमला की […]

दुर्जय पासवान
गुमला : जैसे-जैसे गर्मी चढ़ रही है, गुमला जिले में जल संकट गहराता जा रहा है. गहराते जल संकट के साथ गुमला की जनता भी हलकान है. अप्रैल माह के आगाज में यह हाल है, तो मई व जून माह में क्या होगा, यह सोच कर चिंता बढ़ती जा रही है. गुमला की लगभग सभी नदियां सूख चुकी हैं. करोड़ों रुपये से बने जलाशयों का भी बुरा हाल है.
कई जलाशय में तो थोड़ा पानी है, तो कई सूखने के कगार पर है. मनरेगा व विभिन्न योजनाओं से बने चेकडैम व तालाब में बूंद भर पानी नहीं है. कुएं का जलस्तर नीचे चला गया है. कई चापानल भी खराब पड़े हैं. पेयजल विभाग की रिपोर्ट को देखें, तो गुमला जिले में 15919 चापानल हैं, जिसमें 3535 खराब पड़े हैं. ऐसे विभाग का दावा है कि खराब चापानल की मरम्मत की जा रही है. पेयजल विभाग के अधीक्षण अभियंता पारसनाथ सिंह ने कहा कि सभी 12 प्रखंड में चापानल की मरम्मत के लिए गैंग (चार सदस्यीय मिस्त्री) काम कर रहा है. इसके अलावा सभी प्रखंड में एक गाड़ी भी उपलब्ध करायी गयी है.
अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टी रद्द: अधीक्षण अभियंता ने बताया कि गरमी में जल संकट न हो, इसके लिए पेयजल विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारियों की छुट्टी 23 जून तक रद्द कर दी गयी है.
जहां भी जल संकट की सूचना मिलती है, वहां पहुंच कर पानी की समस्या को दूर करना है. गुमला में भी सभी की छुट्टी रद्द है. अधीक्षण अभियंता ने कहा कि बिना सूचना के गायब रहने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होगी.
गुमला जिले की लाइफ लाइन नदियां सूखी : जिले की लाइफ लाइन नदी दक्षिणी कोयल, शंख, लावा, बासा, कांजी, मरदा, पारस व खटवा सूख गयी है. जिले में दर्जनों जलाशय हैं, जो गरमी के दस्तक के साथ सूख रहे हैं.
इनमें अपरशंख जलाशय, तेलगांव, पारस, नरमा, इटकी, मसरिया, रकमससेरा, कतरी व पालकोट डैम सूखने के कगार पर हैं. जलाशय व नदियां सूखने से पशु व पक्षियों को पानी के लिए भटकते देखा जा रहा है.
पहाड़ी इलाके में पानी के लिए हाहाकार : गुमला जिले के पहाड़ी इलाके में सबसे ज्यादा जल संकट है. वहां हाहाकार शुरू हो गया है.
पहाड़ी इलाका होने के कारण चापानल व कुआं नहीं है. लोग नदी व पझरा पानी पर आश्रित हैं. कई इलाकों में नदियां के पूरी तरह सूखने के कारण लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. ऐसे जहां पानी का स्रोत मिल रहा है, ग्रामीण वहां चुआं खोद कर प्यास बुझा रहे हैं. सबसे बुरा हाल बिशुनपुर, घाघरा, चैनपुर व डुमरी प्रखंड के पहाड़ी गांव है, जहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं है.

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