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झारखंड के आदिवासी-मूलवासी संकट में
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध. जनसभा में दयामनी बारला ने कहा गुमला : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन और स्थानीय नीति के विरोध में जागरूक मंच गुमला के तत्वावधान में रविवार को स्थानीय परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में जनसभा का आयोजन किया गया़ इसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए़ अपनी एकजुटता का परिचय […]
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध. जनसभा में दयामनी बारला ने कहा
गुमला : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन और स्थानीय नीति के विरोध में जागरूक मंच गुमला के तत्वावधान में रविवार को स्थानीय परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में जनसभा का आयोजन किया गया़
इसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए़ अपनी एकजुटता का परिचय दिया और राज्य की रघुवर सरकार को जनविरोध सरकार करार देते हुए जम कर नारेबाजी की़ मौके पर मुख्य वक्ता दयामनी बारला ने कहा कि राज्य में जमीन से जुड़ने वाले हर आदिवासी और मूलवासी संकट के दौर से गुजर रहा है़
हमारे पूर्वजों ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए कई बड़ी लड़ाईयां लड़ी़ कईयों ने अपने प्राण की आहुति तक दे दी़ तब कहीं जाकर 1908 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट बना़ लेकिन रघुवर सरकार ने उस एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव बना कर हमें हमारे जल, जंगल और जमीन ही नहीं, बल्कि हमारी भाषा, संस्कृति और परंपरा को भी हमसे छिनने का प्रयास कर रही है़
वहीं यदि हम स्थानीय नीति की बात करें तो स्थानीयता का आधार वर्ष 1985 को बनाया जा रहा है़ इसका मतलब जो 1932 से यहां रहते आ रहे हैं वे तो स्थानीय हैं ही़ लेकिन जो वर्ष 1985 से रह रहे हैं उन्हें भी स्थानीय माना जा रहा है़
लेकिन हम 1985 का विरोध करते है़ं क्योंकि यदि आज हम इसका विरोध नहीं करेंगे तो, भविष्य में 1985 वाले ही हमारी पीढ़ी को पीछे की ओर धकेलते हुए आगे निकल जायेंगे और हमारी पीढ़ी फिर से दासता का जीवन जीने को विवश होगी़
कार्यक्रम को डॉक्टर करमा उरांव, विनय भूषण टोप्पो, शांति मारगेट बाड़ा, ललिता एक्का, रोश खाखा, गोविंदा टोप्पो, फादर रोशन, मांडर के पूर्व विधायक देवकुमार धान, विधायक बहादुर उरांव, तोरपा विधायक पौलुस सुरीन, राजी पड़हा के दीवान खुदीराम दु:खी, दिनेश उरांव, रणधीर कुमार, ललित एक्का सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया़
अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है : ग्लेडसन डुंगडुंग
मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लेडसन डुंगडुंग ने कहा कि जल, जंगल और जमीन ही हम आदिवासियों और मूलवासियों का अस्तित्व है़ लेकिन वर्तमान समय में हमारे अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है़ इस खतरे को यदि हमें दूर करना है तो, हमें एकजुट होना होगा और जोरदार आंदोलन करना होगा़ जल, जंगल और जमीन के लिए ही हमारे कई पूर्वजों ने बलिदान दिया है़ हमें भी तैयार होना होगा़
रघुवर सरकार ने घिनौना षड्यंत्र रचा है : रामेश्वर उरांव
एसटी आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य की रघुवर सरकार विकास के नाम पर हमारी जमीन हमसे छिनने का एक घिनौना षड्यंत्र रची है़ जिसे हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे़ रघुवर सरकार कहती है कि राज्य का विकास होगा़ यहां के लोग सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करेंगे़ लेकिन किसी कीमत पर हमारी मां रूपी जमीन को हमसे छिन कर हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे़
सरकार आदिवासी विरोधी है : गीताश्री उरांव
पूर्व शिक्षामंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि सरकार वहीं चलती है, जो जनहित में काम करती है़ लेकिन रघुवर सरकार इससे इत्तर पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है़ रघुवर सरकार कहती है कि राज्य में उद्योग धंधे लगेंगे, यहां के लोगों को नौकरी मिलेगी़ लेकिन क्या रघुवर सरकार हमारी कृषि योग्य भूमि को गैर कृषि योग्य करा कर उद्योग धंधे लगायेंगे़ ऐसा होगा तो हम अनाज उपजायेंगे कहां और खायेंगे क्या़
दुर्दशा का जिम्मेदार आदिवासी विधायक : जिग्गा मुंडा
झामुमो के केंद्रीय सदस्य जिग्गा मुंडा ने कहा कि रघुवर सरकार ने सीएनटी व एसपीटी में संशोधन का प्रस्ताव पारित कर और स्थानीय नीति बना कर झारखंड राज्य के आदिवासियों को खतरनाक परिस्थिति में ला खड़ा किया है़ इसके लिए समाज के 28 आदिवासी विधायक जिम्मेवार है़ वे चाहें तो समस्या का समाधान कर सकते है़ं लेकिन इस दिशा में वे किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है़ं
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