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बच्चों को गरम वस्त्र नहीं मिला
महेशपुर व तुसगांव में पढ़ते हैं आदिम जनजाति बच्चे गरम वस्त्र के अलावा जरूरत की सामग्री से भी वंचित हैं गुमला जिले में 11 आवासीय स्कूल संचालित हो रहा है दुर्जय पासवान गुमला : विलुप्त प्राय: आदिम जनजाति के संरक्षण का सरकारी वादा कोरा साबित हो रहा है. इसका उदाहरण गुमला जिला का आदिम जनजाति […]
महेशपुर व तुसगांव में पढ़ते हैं आदिम जनजाति बच्चे
गरम वस्त्र के अलावा जरूरत की सामग्री से भी वंचित हैं
गुमला जिले में 11 आवासीय स्कूल संचालित हो रहा है
दुर्जय पासवान
गुमला : विलुप्त प्राय: आदिम जनजाति के संरक्षण का सरकारी वादा कोरा साबित हो रहा है. इसका उदाहरण गुमला जिला का आदिम जनजाति स्कूल है. कल्याण विभाग द्वारा संचालित आदिम जनजाति आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की ओर से जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है.
हर साल आवासीय स्कूल में रह कर पढ़नेवाले आदिम जनजाति बच्चों को गरम वस्त्र मिलता था. लेकिन इस वर्ष सरकार ने गरम वस्त्र अभी तक उपलब्ध नहीं कराया है. इससे बच्चे इस कड़ाके की ठंड में किसी प्रकार छात्रवास में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. सभी स्कूल जंगल व पहाड़ों के बीच है. इस कारण यहां अधिक ठंड लगती है. गरम वस्त्र के अलावा अन्य जरूरत की सामग्री भी इन्हें नहीं मिली है. इस संबंध में चैनपुर प्रखंड स्थित आदिम जनजाति प्राथमिक आवासीय विद्यालय महेशपुर डीपाटोली के प्रधानाध्यापक बी तिग्गा ने आइटीडीए के निदेशक को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि अभी तक बच्चों को जरूरत की सामग्री नहीं मिली है. इससे बच्चों को छात्रावास में रह कर पढ़ने में दिक्कत हो रही है. बालिका आमवि तुसगांव घाघरा के प्रधानाध्यापक ने ठंड को देखते हुए जरूरत की सामग्री की मांग की है. यहां बता दें कि गुमला जिले में 11 आदिम जनजाति आवासीय स्कूल है. जहां 17 सौ बच्चे पढ़ते हैं.
जमीन पर सोते हैं बच्चे
गुमला जिले के आवासीय स्कूलों में जंगल व पहाड़ों में रहनेवाले बच्चे पढ़ते हैं. लेकिल कई स्कूलों में सोने के लिए चौकी की व्यवस्था नहीं है. इस कारण बच्चे जमीन पर सोते हैं. इस ठंड में बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. अभी ठंड को देखते हुए स्कूलों के एचएम ने सिंगल तोशक, स्वेटर, कंबल, जूता, मोजा, स्कूल बैग, सोने के लिए चौकी के अलावा उपस्कर, बरतन व बिछावन की मांग की है.
यही हालत रहा, तो भोजन भी हो सकता है बंद!
जिले के सभी 11 आवासीय स्कूलों में संवेदक द्वारा खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जाती है. लेकिन संवेदक को वर्ष 2016 के अप्रैल माह से आपूर्ति की गयी खाद्य सामग्री का भुगतान नहीं हुआ है. संवेदक का लाखों रुपये बकाया हो गया है. इस कारण सभी स्कूलों में उधार पर खाद्य सामग्री खरीद कर बच्चों को खिलाया जा रहा है. सूचना मिली है कि आपूर्तिकर्ता ज्यादा बकाया होने पर कभी भी खाद्य सामग्री की आपूर्ति बंद कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो 17 सौ बच्चों को खाने-पीने की सामग्री नहीं मिलेगी.
रिमांड होम में बंद हो सकता है भोजन
गुमला के सिलम घाटी में संचालित रिमांड होम में कभी भी खाद्य सामग्री की आपूर्ति बंद हो सकती है. अगर ऐसा होता है कि रिमांड होम में विभिन्न मामलों में बंद बाल बंदियों के सामने भूखे रहने की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. ऐसे में बाल बंदी उग्र आंदोलन कर सकते हैं. पहले भी बाल बंदी कई बार आंदोलन कर चुके हैं. रिमांड होम में खाद्य सामग्री के आपूर्तिकर्ता ने डीसी श्रवण साय को ज्ञापन सौंपा है. इसमें उन्होंने कहा है कि रिमांड होम में आपूर्ति मद की राशि का भुगतान अभी तक नहीं हो रहा है. इससे लाखों रुपये फंस गया है. ऐसी स्थिति में खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने में परेशानी होगी. आपूर्तिकर्ता ने बकाया राशि के भुगतान की मांग की है.
पीटीजी आवासीय विद्यालयों की सूची
विद्यालय का नाम पढ़ाई छात्र संख्या
आदिम जनजाति आवि सखुवापानी 1 से 10 248
आदिम जनजाति आवि जोभीपाट 1 से 10 248
आवासीय बालिका मवि चौरापाट 1 से 6 088
बालिका आवि जेहनगुटवा 1 से 5 060
बालिका आवि चापाटोली बिशुनपुर 1 से 10 248
टाना भगत आवि घाघरा प्रखंड 1 से 10 248
बालिका आमवि तुसगांव घाघरा 1 से 5 100
आवासीय मवि डोकापाट चैनपुर 1 से 6 088
प्राथमिक आवि महेशपुर डीपाटोली 1 से 5 100
आवासीय उच्चवि कंदापाट डुमरी 6 से 10 200
आश्रम बालिका हाई स्कूल सिसई 6 से 10 240
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