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कभी बंदूक थी जिंदगी, अब खेतीबारी ही है जीवन
गुमला शहर के चाहा निवासी रंथु सिंह का 25 साल पहले गुमला शहरी क्षेत्र में आतंक था. पूंजीपतियों से लेवी मांगना व किसी को गोली मारना आम बात थी. सात बार जेल जा चुका है. अब नयी जिंदगी जी रहा है. खेतीबारी कर दो बेटियों की शादी की. बड़ा बेटा सुरक्षा गार्ड में है, जबकि […]
गुमला शहर के चाहा निवासी रंथु सिंह का 25 साल पहले गुमला शहरी क्षेत्र में आतंक था. पूंजीपतियों से लेवी मांगना व किसी को गोली मारना आम बात थी. सात बार जेल जा चुका है. अब नयी जिंदगी जी रहा है. खेतीबारी कर दो बेटियों की शादी की. बड़ा बेटा सुरक्षा गार्ड में है, जबकि छोटा बेटा पढ़ाई कर रहा है.
दुर्जय पासवान4 गुमला
कभी बंदूक जिंदगी थी. आतंक से लोग डरते थे, परंतु आज हल, बैल व खेतीबारी जिंदगी बन गयी है. हम बात कर रहे हैं गुमला शहर के चाहा गांव निवासी रंथु सिंह (52 ) की. रंथु के पेट में गोली लगने का निशान आज भी मौजूद है.
30 साल पहले गुमला शहर में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुआ था, जिसमें रंथु को दो गोली लगी थी. पेट से पोटा निकल गया था. डॉक्टरों ने बंदर का पोटा लगा कर रंथु की जान बचायी थी. जब तक वह अपराध की दुनिया में रहा, जेल ही उसका घर हुआ करता था. सात बार जेल जा चुका है, परंतु समय के साथ रंथु की सोच बदली. उसने अपराध की दुनियां छोड़ कर परिवारिक जिंदगी शुरू की. परिवार को चलाने के लिए खेतीबारी शुरू की.
नन मैट्रिक रंथु ने आज से 25 साल पहले एक एकड़ खेत में खेतीबारी शुरू की. पहली बीवी के निधन के बाद जवामति देवी से दूसरी शादी की. दो बेटा व दो बेटी है. खेतीबारी से ही दो बेटियों की शादी की. बड़ा बेटा को पढ़ाया. अभी वह सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा है. छोटा बेटा केओ कॉलेज गुमला में इंटर में पढ़ रहा है. रंथु कहता है : पुरानी जिंदगी को बहुत पीछे छोड़ आया. अब भरा पूरा परिवार है. खेतीबारी करके जी रहे हैं.
प्रशासन ने मदद नहीं की, तो श्रमदान से कुआं खोदा
25 साल पहले जब रंथु ने खेतीबारी शुरू की, तो सिंचाई बड़ी समस्या थी. उसने प्रशासन से कुआं की मांग की थी. परंतु प्रशासन ने उस समय रंथु की मदद नहीं की, पर रंथु ने हार नहीं माना.
उसने 15 साल पहले श्रमदान से कुआं खोदा. इसमें उसकी पत्नी व बड़ा बेटा सहयोग किया. तीन व्यक्ति मिल कर 27 फीट गहरा व 12 फीट चौड़ा कुआं खोद दिया. आज उसी कुआं से एकड़ खेत में सिंचाई के लिए पानी मिलता है. मौसम के अनुसार रंथु खेती करता है. रंथु के साथ उसकी पत्नी जवामति खेतीबारी में सहयोग करती है.
सपना : बेटा पढ़-लिख कर सरकारी नौकरी करे
रंथु का सपना है. छोटा बेटा पढ़ लिख कर सरकारी नौकरी करे, ताकि वह गुमला व चाहा गांव के विकास के लिए कुछ कर सके. उसने कहा कि वह जरूर नहीं पढ़ सका, परंतु सपना है कि उसका बेटा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बने.
सीपी तिर्की, सुशील व लॉरेंस के साथ घूमता था
रंथु सिंह ने कहा कि आज से 35 साल पहले गुमला शहर में सीपी तिर्की, सुशील तिर्की व लोरेंस तिर्की की बड़ी धाक थी. ये लोग पूंजीपतियों को लूटते थे, तो गरीबों को बांटते भी थे.
मैं भी इन्हीं लोगों के ग्रुप में था. अक्सर पुलिस के साथ मुठभेड़ होती थी, परंतु हर बार मैं बचता गया और आज जिंदा हूं. पर हमारे साथी सीपी, सुशील व लोरेंस नहीं रहे. रंथु ने कहा कि मेरे ऊपर जितने भी केस थे, वह खत्म हो गये. सभी केस में मुझे जमानत मिल गयी है. खुशी होती है कि मैं बदल गया.
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