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गुमला में नहीं रहना चाहते डीडीसी
गुमला : उपविकास आयुक्त चंद्रकिशोर उरांव गुमला में नहीं रहना चाहते हैं. वे पांच जनवरी से स्वास्थ्य छुट्टी पर गये हैं. लेकिन अभी तक वापस नहीं आये हैं. सूत्रों की माने तो अब वे गुमला वापस लौट कर नहीं आयेंगे. शुरू में वे पांच से 14 जनवरी तक के लिए छुट्टी लिये थे. लेकिन अब […]
गुमला : उपविकास आयुक्त चंद्रकिशोर उरांव गुमला में नहीं रहना चाहते हैं. वे पांच जनवरी से स्वास्थ्य छुट्टी पर गये हैं. लेकिन अभी तक वापस नहीं आये हैं. सूत्रों की माने तो अब वे गुमला वापस लौट कर नहीं आयेंगे. शुरू में वे पांच से 14 जनवरी तक के लिए छुट्टी लिये थे.
लेकिन अब वे 30 जनवरी तक छुट्टी बढ़ा दिये हैं. डीडीसी श्री उरांव ने डीसी श्रवण साय को आवेदन लिखा है. जिसमें उन्होंने कमर में दर्द का जिक्र किया है. वहीं दुरुह कार्य करने में असमर्थता जतायी है. डीडीसी से मिले आवेदन के बाद डीसी ने कार्मिक विभाग को पत्र लिखा है. जिसमें उन्हाेंने गुमला में नये डीडीसी की पदस्थापना करने व चंद्रकिशोर उरांव को किसी दूसरे स्थान पर पदस्थापना देने की मांग की है. श्री उरांव के छुट्टी पर जाने के बाद अभी तक गुमला में किसी नये डीडीसी की पदस्थापना नहीं हुई है और न ही किसी को प्रभार दिया गया है. डीडीसी के गुमला छोड़ कर जाने के बाद चर्चा का बाजार गरम है. लोग तरह-तरह की बाते कर रहे हैं.
डीडीसी के गुमला छोड़ने के कारण
अाधिकारिक सूत्रों के अनुसार चार जनवरी को गुमला के एक विधायक ने डीडीसी को जम कर फटकार लगायी. बिना वजह के डीडीसी को विधायक की बात सुननी पड़ी. बताया जा रहा कि विधायक ने खूब अनाप-शनाप बोला. इससे डीडीसी काफी आहत हुए. विधायक की बात सुनने के दूसरे दिन ही डीडीसी स्वास्थ्य छुट्टी लेकर गुमला छोड़ दिये. सूचना है कि विधायक अपनी मरजी से कुछ काम कराना चाह रहे थे. अगर डीडीसी विधायक के कहने पर कागजात पर हस्ताक्षर करते तो वे फंस भी सकते थे. इसलिए डीडीसी नियम विरुद्ध काम करने को तैयार नहीं थे. इसी बात को लेकर डीडीसी पर विधायक गरम हो गये.
गुमला में अच्छा काम कर रहे थे
अधिकारियों व कर्मचारियों की मानें तो डीडीसी चंद्रकिशोर उरांव जब से गुमला में योगदान दिये, अच्छा काम कर रहे थे. पंचायत चुनाव में वे काफी एक्टिव रहे थे. सभी लोगों से उनका व्यवहार भी ठीक था. महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला था, लेकिन बावजूद डीडीसी के व्यवहार के कारण सभी कर्मचारी काम कर रहे थे.
पहले अधिकारी जो नहीं रहना चाहते
चंद्रकिशोर उरांव जिले के पहले अधिकारी हैं, जो यहां नहीं रहना चाहते. पहले भी इस प्रकार की घटना घटी है. लेकिन इस प्रकार की नौबत नहीं आयी है. जबकि गुमला ऐसा जिला है, जहां सभी अधिकारी काम करने को लालायित रहते हैं.
उदाहरण के तौर पर एक अधिकारी का गुमला से ट्रांसफर हो गया है. लेकिन उनसे जब बात हुई, तो कहा कि गुमला में काम करने का मजा ही कुछ और है. मैं दोबारा बदली करा कर गुमला आऊंगा. यहां बता दें कि गुमला में कई अधिकारी हैं, जो बदली होने के बाद भी गुमला में दोबारा पदस्थापना करा लिये हैं.
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