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मालवीय की विचारधारा अपनायें : रणसुमन

गुमला : सरस्वती शिशु मंदिर में शनिवार को पंडित मदन मोहन मालवीय की 154वीं जयंती रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. मुख्य वक्ता आचार्य रणसुमन सिंह ने पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डाला. कहा कि 1861 ई में प्रथम […]

गुमला : सरस्वती शिशु मंदिर में शनिवार को पंडित मदन मोहन मालवीय की 154वीं जयंती रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ.
मुख्य वक्ता आचार्य रणसुमन सिंह ने पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डाला. कहा कि 1861 ई में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के चार वर्ष बाद 1861 ई में पंडित जी का जन्म तब हुआ जब अंगरेज की दमनात्मक नीति चरम पर था. ऐसे समय में हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान की विचारधारा हृदय में संजाेये काशी के राजा व जनसहयोग से काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की.
वर्तमान समय में पंडित जी के विचारधारा को अपना कर शारीरिक व मानसिक रूप से बलिष्ठ बनने की जरूरत है. पंडित जी ने कहा है कि दूध पीयो बलिष्ठ बनो, लो नित्य हरिनाम. इस अवसर पर विद्यालय के भैया-बहनों ने गीत, नृत्य, एकांकी नाटक सहित कई कार्यक्रम प्रस्तुत किया. सौरभ कुमार, कैलाश, मीनाक्षी, कमलेश, विवेक आदि ने कविता, लक्ष्मी, लकी, आकांक्षा ने नृत्य, पीयूष सक्षम ने एकांकी नाटक तथा अर्पित व अश्विनी ने भाषण प्रस्तुत किया.
मौके पर प्रधानाचार्य सुरेंद्र पाठक, वरिष्ठ आचार्य शैलेश कुमार झा, शिशू भारती के उपाध्यक्ष बहन पुष्पांजलि कुमारी, भोलानाथ दास, अखिल कुमार, रवींद्र साहू, स्वप्न कुमार राय, अजीत झा, संतनु सिंह, मांझी उरांव, देवनंद साहू, गणोश साहू, उमा पांडेय, अर्चना मिश्र, शोभा कुमारी सहित विद्यालय के सभी आचार्यगण व भैया-बहनें उपस्थित थे.

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