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::::: बाबू अनाज दें, नहीं तो भूखे मर जायेंगे!

::::: बाबू अनाज दें, नहीं तो भूखे मर जायेंगे! 27 गुम 29 में, किसान पाही उरांव सूख चुके खेत में बैठा हुआप्रतिनिधि, गुमलाबाबू (सरकार) अनाज दें, नहीं तो भूखे मर जायेंगे. खेत में लगा फसल मर गया है. घर में खाने के लिए अनाज नहीं है. दो बेटियों को पढ़ाना है. यह स्थिति गुमला प्रखंड […]

::::: बाबू अनाज दें, नहीं तो भूखे मर जायेंगे! 27 गुम 29 में, किसान पाही उरांव सूख चुके खेत में बैठा हुआप्रतिनिधि, गुमलाबाबू (सरकार) अनाज दें, नहीं तो भूखे मर जायेंगे. खेत में लगा फसल मर गया है. घर में खाने के लिए अनाज नहीं है. दो बेटियों को पढ़ाना है. यह स्थिति गुमला प्रखंड के हुरहुरिया गांव के किसान पाही उरांव की है. पाही ने बताया कि 50 डिसमिल खेत में धान लगाया था. शुरू में अच्छी बारिश हुई. अच्छी खेती की उम्मीद थी, लेकिन फसल खड़ा होने के बाद बारिश नहीं हुई. इससे धान की बाली निकलने से पहले ही पूरा फसल मर गया. खेत में दरार पड़ गयी है. बताया कि दो बेटी स्कूल में पढ़ती हैं. अब बेटियों को कैसे पढ़ायेंगे. एक बेटी पहले से गरीबी के कारण दिल्ली कमाने गयी है. हुरहुरिया गांव : 300 परिवार के समक्ष संकटहुरहुरिया गांव गुमला से 20 किमी दूर है. 300 परिवार निवास करते हैं. सभी किसान हैं. खेतीबारी के अलावा आय का कोई स्रोत नहीं है. कृषि प्रधान इस क्षेत्र में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. कतरी डैम का नहर कुछ दूरी तक आया है. लेकिन कभी उसमें पानी नहीं रहता. मनरेगा से तालाब व कुआं बना है. चेकडैम भी बनाया गया है. लेकिन सभी सूख चुके हैं. स्थिति भयावह है. इस क्षेत्र की अधिकांश खेत दो व तीन नंबर है. इस कारण बारिश नहीं हुई तो खेत में दरार पड़ने लगे. पूरा फसल मर गया है. किसानों ने कहा : सरकार राहत कार्य शुरू नहीं की, तो पलायन करेंगे या तो भूखे मरेंगे.

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