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दूसरे गांव से प्यास बुझा रहे हैं ग्रामीण
गुमला : जिले में जल संकट गहरा गया है. जिले में 944 गांव हैं. इसमें कई ऐसे गांव हैं, जहां पानी खत्म हो गया है. अपने गांव में पानी खत्म होने के बाद ग्रामीण दूसरे गांव से प्यास बुझा रहे हैं. कारण लाइफ लाइन कही जानेवाली सभी छोटी-बड़ी नदियां सूख चुकी है. करोड़ों रुपये से […]
गुमला : जिले में जल संकट गहरा गया है. जिले में 944 गांव हैं. इसमें कई ऐसे गांव हैं, जहां पानी खत्म हो गया है. अपने गांव में पानी खत्म होने के बाद ग्रामीण दूसरे गांव से प्यास बुझा रहे हैं. कारण लाइफ लाइन कही जानेवाली सभी छोटी-बड़ी नदियां सूख चुकी है.
करोड़ों रुपये से बने जलाशयों में पानी नहीं है. मनरेगा व विभिन्न योजनाओं से बने चेकडैम व तालाब की जमीन फटने लगी है. कुएं का जलस्तर रसातल में खिसक गया है. चापानल खराब पड़े हैं. दो बाल्टी पानी के लाले पड़ने लगे हैं. सुबह से शाम तक हर उम्र के लोग दो बाल्टी पानी के लिए भटक रहे हैं.
बॉक्साइट के कारण भयावह जल संकट :बिशुपपुर प्रखंड के पठारी इलाकों में पानी के लिए हाहाकार है. बिशुनपुर में बॉक्साइट होने के कारण यहां चापानल व कुएं बहुत कम मात्र में सफल हैं.
नदी व तालाब सूख चुके हैं. प्रखंड में 10 पंचायत के अधीन 101 गांव है. यहां की बड़ी आबादी घने जंगल व पहाड़ों में निवास करते हैं. आदिम जनजाति के लोग पूरी तरह शहरी जीवन से कटे हुए हैं. प्रखंड के चिरोडीह, नरमा, जिलिंगसीरा, अमतीपानी, सेरका, बहागढ़ा, लंगड़ाटांड़, लुपूंगपाट, हारूप, कुजाम, गुरदरी, अंबाकोना, कांटाबील, जनावल, राजेंद्रा, सेरेंगदाग, केचकी, टयूमरा, जालिम, सनई, चातम, देवरागानी में सबसे भयावह जल संकट है. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जल संकट से निबटने के लिए कोई उपाय नहीं कर रहे हैं.
कई गांवों में पानी खत्म, तरस रहे लोग : रायडीह प्रखंड के कई गांवों में पानी खत्म हो गया है.इस कारण ग्रामीण बगल के गांव से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं. इनमें टुडूरमा, रेंगोला, डुम्बरटोल, कोनकेल, खटखोर, लौकी, पीबो, मरदा, बाघलता, जरजा, केराडीह, कटकांया, भंडारटोली, साहीटोली, डाड़टोली गांव है. इन गांवों में जल संकट गहरा गया है. नदी, कुआं व तालाब सूख गया है. गांव में जलस्रोत का कोई साधन नहीं बचा है, जो लोगों के लिए उपयोगी हो.
डेढ़ लाख आबादी 1000 चापानल के भरोसे : सिसई प्रखंड के कई गांव बिना जल के हो गया है. प्रखंड मुख्यालय में भी जल संकट गहरा गया है. जलमीनार है, परंतु बेकार पड़ा है. छह नदियां कंस, पारस, ओरंगा, दक्षिणी कोयल व अड़िया नदी भी सूख गयी है. तीन हजार चापानल हैं. इसमें दो हजार खराब हैं. डेढ़ लाख आबादी मात्र एक हजार चापानल के भरोसे है.
सरकारी व गैर सरकारी कुआं 2800 है. जिसमें 80 प्रतिशत सूख गये हैं. खेत में चुआं है. जिससे प्यास बुझा रहे हैं. प्रखंड के चेंगरी, कुंबाटोली, बेंगवाटोली, पंडरानी, गम्हरिया, लकेया, झटनीटोली, टंगराटोली, र्बी, र्ही, गोया, र्खेरा, दारी गांव में पानी खत्म हो गया है. यहां से बगल एक से दो किमी दूर स्थित गांव में पानी है. जहां से लोग इस गरमी में अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
सात स्कूलों में चापानल नहीं : जारी प्रखंड के सरगाडीह, धोबारी, पाची, कोमड़ो, भंवराटोली की पांच हजार आबादी को गांव में पानी नसीब नहीं है. क्योंकि यहां सभी जलस्रोत गरमी में जवाब दे दिया है.
बगल के गांव से लोग पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं. गांव के अलावा प्रखंड के सात ऐसे स्कूल है. जहां पानी नहीं है. अभी गरमी छुी है. इसलिए बच्चों पर असर नहीं है. इनमें नवप्राथमिक विद्यालय रेंगारी, उत्क्रमित मध्य विद्यालय श्रीनगर, नवप्राथमिक विद्यालय अंवराटोली, नवप्राथमिक विद्यालय सरगाडीह, नवप्राथमिक विद्यालय बितरी वा नवप्राथमिक विद्यालय खूंटीटोली में चापानल नहीं है.
निर्झर झरना पर आश्रित पालकोट की जनता : पालकोट प्रखंड मुख्यालय के लोग निर्झर झरना से प्यास बुझा रहे हैं.
कारण चापानल खराब है. कुआं सूख चुका है. पहाड़ के बीच से झरना में पानी जमा होता है. यहां सुबह शाम पानी भरनेवालों की भीड़ लगी रहती है. वहीं प्रखंड के देवगांव, तपकारा, गुड़मा, उमड़ा, बागेसेरा, बांदोडीह, ऊपरखंभन, करंजटोली, अलंककेरा, मरदा, सारूबेड़ा, चीरोडीह गांव में सभी जल स्रोत सूख चुके हैं. पानी के लिए लोग दूसरे गांव पर आश्रित हैं. ऐसे विभाग के अनुसार प्रखंड में लगभग 1650 चापाकल है. इसमें आधा से अधिक खराब है.
बसिया व डुमरी में नदी का पझरा पानी पी रहे हैं लोग : बसिया प्रखंड के गांवों में नदी में चुआं बना कर लोग प्यास बुझा रहे हैं. सुबह को लोग घर से पानी भरने निकलते हैं तो दो घंटे बाद घर लौटते हैं.
कारण नदी में बनाये गये चुआं में जब पानी भरता है, तो लोग उसे पीते हैं. प्रखंड मुख्यालय में भी जल संकट गहरा गया है. लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. इसी प्रकार डुमरी प्रखंड में भी लोग नदी का पझरा पानी पीने को विवश हैं. पहाड़ी इलाकों में जितने गांव हैं, सभी में जल संकट गहरा गया है.
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