गुमला. नेता जी पर कोई भरोसा नहीं. कब किधर पलट जायेंगे. यह पलटू नेता ही जानते हैं. गुमला मंे भी पलटू नेता की कोई कमी नहीं है. कल तक जो अपने पार्टी व पार्टी के नेतवा को गाली दे रहे थे. आज वह एकदम से नजदीक हो गया है. नजदीकी ऐसे हुए कि चुनाव कार्यालय में हाजिरी बनाने के अलावा प्रत्याशी से भी घूम रहे हैं.
द्वार-द्वार जाकर वोट भी मांग रहे हैं. ऐसे ही एक पलटू नेता से मुलाकात हो गयी. नेता जी पूरे रोब में थे. पार्टी में कोई पद तो नहीं मिला है. परंतु वरीय नेताजी जरूर कहलाते हैं. बातों ही बातों में उनसे अचानक पार्टी में दिखने पर चर्चा हो गयी. तपाक से नेताजी ने कहा कि मैं तो ऐसा हूं.
जिस स्थान पर चर्चा चली. वहीं अन्य नेता भी थे. वे लोग भी चुस्की मारने लगे. कुछ लोगों ने पलटू नेताजी की खिंचाई भी की, तो वे एक किनारे हो गये. गुस्सा तो खूबे आ रहा था. परंतु अभी कुछ कमाई करने का सिजन है. इसलिए वे विरोध भी न कर सके. पलटू की बात सुन वे अंदर ही अंदर क्रोधित हो रहे थे.
जब देखा कि पलटू नेताजी अंदर से नाराज हो रहे हैं, तो टॉपिक चेंज हो गया. फिर चुनावी हार जीत पर चर्चा चली. नेताजी इस में भी पीछे नहीं रहे. अपने प्रत्याशी व पार्टी की औकात गुमला में जान रहे हैं. पर बोलने में क्या जाता है, सो उन्होंने बोल दिया. फिजा तो अपने पक्ष में है. गांव के वोटवा के साथ शहर का भी वोटवा हमरे ही प्रत्याशी को मिली.