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गुमला में कारखाना व रेलवे लाइन बना सपना

रेलवे लाइन व कारखाना बनने से रोजगार मिलेगा नक्सलवाद पर अंकुश लगेगापलायन पर अंकुश लगेगा.प्रतिनिधि, गुमलागुमला को जिला का दर्जा मिले 30 वर्ष हो गया. पर न तो यहां कोई कारखाना खुला और न रेलवे लाइन से ही जुड़ सका. जो भी काम हुआ केवल कागजों पर ही हुआ. नेताओं ने केवल आश्वासन ही दिया. […]

रेलवे लाइन व कारखाना बनने से रोजगार मिलेगा नक्सलवाद पर अंकुश लगेगापलायन पर अंकुश लगेगा.प्रतिनिधि, गुमलागुमला को जिला का दर्जा मिले 30 वर्ष हो गया. पर न तो यहां कोई कारखाना खुला और न रेलवे लाइन से ही जुड़ सका. जो भी काम हुआ केवल कागजों पर ही हुआ. नेताओं ने केवल आश्वासन ही दिया. गुमला की सवा दस लाख जनता आज भी रेलवे लाइन व कारखाने का सपना देख रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा चुनाव में गुमला आये थे. एयरोड्रम पर सुदर्शन भगत के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित किये थे. मोदी ने गुमला की जनता से वादा किया था कि रेलवे लाइन से गुमला को जोड़ेंगे. कारखाना खोला जायेगा. परंतु सरकार बनी. बजट पेश हुआ, पर गुमला को कुछ नहीं मिला. जिस विश्वास व उम्मीद से यहां की जनता ने मोदी के नाम पर वोट दिया था. वह पूरा नहीं हुआ. गौरतलब है कि गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए सबसे पहले 1973 में लोहरदगा भाया गुमला व कोरबा तक सर्वे हुआ था. चेंबर ऑफ कॉमर्स से लेकर कई सामाजिक संगठन व राजनीति पार्टी के नेताओं ने रेलवे लाइन के लिए राज्य से लेकर केंद्र के कई मंत्रियों को ज्ञापन भी सौंपा है. यहां तक कि गुमला व लोहरदगा जिला के सीमांत पर स्थित घाघरा में बॉक्साइट आधारित कारखाना खोलने की मांग की गयी है. कारखाना व रेलवे लाइन के अलावा बाइपास सड़क बनाना भी गुमला शहर की प्रमुख मांगों में शामिल है. अगर ये तीनों कार्य किये गये तो गुमला जिले का विकास हो सकेगा. रोजगार के अवसर मिलने पर काफी हद तक नक्सलवाद की समस्या भी इस क्षेत्र से कम होगी. बेरोजगार युवकों के पलायन पर अंकुश लगेगा.

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