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नागफेनी की अद्भुत है प्राकृतिक छटा

गुमला : एनएच 43 पर रांची-गुमला मार्ग के दक्षिणी कोयल नदी के किनारे नागफेनी है. यह पर्यटकों के दृष्टिकोण नववर्ष में घूमने की सुंदर जगह है. यहां नुकीले व ऊंचे पहाड़ हैं. अद्भुत प्राकृतिक छटा है. नदी तट के किनारे प्राचीन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की मूर्ति है. नागवंशी राजाओं से जुड़ा […]

गुमला : एनएच 43 पर रांची-गुमला मार्ग के दक्षिणी कोयल नदी के किनारे नागफेनी है. यह पर्यटकों के दृष्टिकोण नववर्ष में घूमने की सुंदर जगह है. यहां नुकीले व ऊंचे पहाड़ हैं. अद्भुत प्राकृतिक छटा है. नदी तट के किनारे प्राचीन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की मूर्ति है. नागवंशी राजाओं से जुड़ा इतिहास है.

पग-पग पर प्राचीन अवशेष हैं. यह गुमला जिला मुख्यालय से 16 किमी दूर है, जो अपने अंदर कई ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहर समेटे हुए है. गुमला जिला के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से यह एक है. यह गांव नागवंशी राजाओं का गढ़ था, जिनके भवनों के अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं. यहां के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए सालों भर सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है. नववर्ष की बेला हो, कार्तिक पूर्णिमा का दिन, रथयात्रा या फिर मकर संक्रांति का पर्व, यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है.

नागवंशी राजा जगरनाथ साय द्वारा विक्रम संवत 1761 में जगन्नाथ मंदिर की स्थापना की गयी. मंदिर की छत पर बने गुबंद व दीवार पर बने नक्काशी लोगों को आकर्षित करता है. गुमला शहर से नजदीक होने के कारण यहां नववर्ष में आराम से घूम सकते हैं.

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