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गुमला : सीएम जनसंवाद में प्रतिनियोजन रद्द करने व वेतन रोकने की शिकायत की

गुमला : लकवाग्रस्त शिक्षक दशरथ बड़ाइक का प्रतिनियोजन रद्द करने व वेतन रोकने की शिकायत सीएम जनसंवाद में की गयी है. यह शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार ने की है. साथ ही सीएम जनसंवाद से मामले की जांच करा कर कार्रवाई करने की मांग की है. पंकज कुमार ने सीएम जनसंवाद में शिक्षक का प्रतिनियोजन […]

गुमला : लकवाग्रस्त शिक्षक दशरथ बड़ाइक का प्रतिनियोजन रद्द करने व वेतन रोकने की शिकायत सीएम जनसंवाद में की गयी है. यह शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार ने की है. साथ ही सीएम जनसंवाद से मामले की जांच करा कर कार्रवाई करने की मांग की है.

पंकज कुमार ने सीएम जनसंवाद में शिक्षक का प्रतिनियोजन फसिया के सरकारी विद्यालय में करने व रुके वेतन को चालू करने की भी मांग की है. जिससे लकवाग्रस्त शिक्षक का इलाज होने के साथ उसके परिवार की जीविका चल सके.

यहां बता दें कि शिक्षक की समस्या को लेकर प्रभात खबर ने एक जनवरी को समाचार प्रकाशित किया है. समाचार छपने के बाद पंकज कुमार ने सीएम जनसंवाद में मामला दर्ज कराया है. सीएम जनसंवाद ने मामला दर्ज कर लिया है. यहां बताते चलें कि सहोदरा देवी अपने लकवा ग्रसित पति शिक्षक दशरथ बड़ाइक का प्रतिनियोजन सदर प्रखंड गुमला के फसिया के सरकारी विद्यालय में कराने और पति के रूके हुए वेतन को शुरू कराने की मांग को लेकर पिछले एक माह से जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश है.

सहोदरा देवी ने अपनी समस्या की जानकारी प्रभात खबर को दी थी. दशरथ बड़ाइक डुमरी प्रखंड के रहनेवाले हैं और वर्तमान में रायडीह प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय खुरसुता में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. इधर, लगभग दो साल पहले 2016 के फरवरी माह में वे लकवा से ग्रसित हो गये. उस समय वे अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ गुमला शहर के गोकुल नगर में रह रहे थे.
लकवा से पीड़ित होने के बाद दशरथ ने तत्कालीन उपायुक्त श्रवण साय को आवेदन दे कर अपना प्रतिनियोजन फसिया के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कराने की मांग की. इस पर उपायुक्त के स्तर से उनका प्रतिनियोजन नवंबर 2016 में फसिया विद्यालय में हुआ. जहां वे वर्तमान में भी अपनी सेवा दे रहे हैं.
इधर, दिसंबर 2018 में शिक्षा विभाग ने दशरथ को उनके मूल विद्यालय खुरसुता में योगदान देने को कहा है. परंतु शारीरिक स्थिति ठीक नहीं होने और आवागमन करने में परेशानी होने के बावजूद शिक्षा विभाग ने उनका प्रतिनियोजन रद्द कर दिया. साथ ही दिसंबर माह से उनके वेतन पर भी रोक लगा दिया. जिससे परिवार के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गयी है.

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