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jharkhand@18: इस कड़ी में पढ़ें कहानी बदलाव की, बीहड़ से घिरे भींजपुर में रहती है 24 घंटे बिजली

झारखंड स्थापना के 18 साल पूरे हो गये. हम युवा झारखंड की कुछ कहानियां लेकर आपके सामने आये हैं. इनके सफर से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे झारखंड के युवा अलग-अलग क्षेत्रों में अपने लिए स्थान बना रहे हैं. झारखंड स्थापना दिवस पर शुरू हुई सीरीज की यह 13वीं कड़ी है. इस कड़ी […]

झारखंड स्थापना के 18 साल पूरे हो गये. हम युवा झारखंड की कुछ कहानियां लेकर आपके सामने आये हैं. इनके सफर से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे झारखंड के युवा अलग-अलग क्षेत्रों में अपने लिए स्थान बना रहे हैं. झारखंड स्थापना दिवस पर शुरू हुई सीरीज की यह 13वीं कड़ी है. इस कड़ी में पढ़ें साथी पवन कुमार के द्वारा लिखी गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड में घने जंगलों और पहाड़ों से घिरी कोब्जा पंचायत के भींजपुर की कहानी. कैसे गांव में आयी रौशनी ने गांव को अंधेरे से दूर कर दिया. इस सीरीज में कहानी झारखंड के बदलाव की कैसे गांव बदल रहे हैं.

गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड में घने जंगलों और पहाड़ों से घिरी कोब्जा पंचायत का एक गांव है भींजपुर. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, लेकिन सौर ऊर्जा ने एक नयी रोशनी बिखेरी है. 700 की आबादी वाले इस गांव में 113 घर हैं. सौर ऊर्जा ने इनकी जिंदगी रोशन कर दी है. ग्रामीणों की दिनचर्या बदल गयी है. सामाजिक और आर्थिक स्तर पर बदलाव दिखने लगा है. वर्ष 2017 से सौर ऊर्जा के माध्यम से हर घर के अलावा सड़कें भी दूधिया रोशनी से नहा रही हैं. करीब 30 घरों में डिस टीवी है. अब तो आलम यह है कि सौर ऊर्जा ने भींजपुर के ग्रामीणों के लिए स्वरोजगार के द्वार भी खोले दिये हैं.
सौर ऊर्जा ने ढिबरी युग से दिलायी मुक्ति
कोब्जा पंचायत में दो राजस्व गांव है कोब्जा खास व रमजा खास. इन दोनों गांवों में कुल 32 टोले हैं. भींजपुर, रमजा राजस्व गांव का एक टोला है. गुमला जिला मुख्यालय से भींजपुर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. लगभग 16 किलोमीटर घने जंगलों और पहाड़ों के बीच पथरीले सुनसान रास्ते को पार करना पड़ता है. यह गांव गुमला और सिमडेगा जिले का सीमावर्ती गांव है. भींजपुर गांव चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. भौगोलिक दृष्टि से यहां निवास कर रहे लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना मुश्किल भरा काम है. गांव में दिन में तो सूर्य की रोशनी से काम चल जाता था, पर रात बहुत परेशान करनेवाली होती थी. रात में रोशनी के लिए ढिबरी और टॉर्च का ही सहारा था. वर्ष 2017 में शिवरात्रि के दिन से सौर ऊर्जा ने गांव को ढिबरी युग से मुक्ति दिलायी.
गैर सरकारी संस्था प्रदान का मिला भरपूर सहयोग
ढिबरी युग में जीने को मजबूर भींजपुर के ग्रामीणों के लिए टीवी देखना और बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल करना एक सपने जैसा था, लेकिन गांव में प्रदान संस्था के प्रतिनिधि आये और ग्रामीणों की बिजली की समस्या को दूर करने के लिए उनसे गांव में सौर ऊर्जा मिनी ग्रिड लगाने पर चर्चा की. एक्सपोजर विजिट के लिए ग्रामीणों को महाराष्ट्र के दरेवाड़ी गांव ले जाया गया. इसके बाद ग्रामीण तैयार हुए और सौर ऊर्जा मिनी ग्रिड तैयार हो गया.
हर घर में लगा है मीटर
भींजपुर के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए मिनी ग्रिड से तार और खंभे के जरिये बिजली पहुंचायी गयी. हर घर में मीटर लगा हुआ है. मीटर रीडिंग के अनुसार ग्रामीणों से पैसे लिये जाते हैं. व्यावसायिक कनेक्शन के लिए अलग से मीटर लगा हुआ है.
ज्योति सौर ऊर्जा समिति करती है इसकी देख-रेख
सौर ऊर्जा मिनी ग्रिड और पोल के रख-रखाव के लिए ज्योति सौर ऊर्जा समिति का गठन किया गया है. सभी ग्रामीणों से पैसे लेकर समिति के खाते में पैसे जमा किये जाते हैं. समिति में कुल नौ सदस्य हैं. महीने में दो बार 15 और 30 तारीख को समिति की बैठक होती है. इसके अलावा हर महीने ग्रामीण 100 रुपये समिति में जमा करते हैं, ताकि बड़े खर्च के लिए पैसे जमा हो सके.
सौर ऊर्जा से हो रही सिंचाई
भींजपुर के ग्रामीण आजीविका के लिए खेती-बारी पर निर्भर हैं. वनोपज भी उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण खेती करने में काफी परेशानी होती है. इसे देखते हुए गांव में सोलर पंप लगाये जा रहे हैं, ताकि खेतों तक पानी पहुंचाया जा सके.
जिले के 12 गांव सौर ऊर्जा से हो रहे हैं रोशन
गुमला जिले के गुमला और रायडीह प्रखंड के कुल 12 गांवों में प्रदान के द्वारा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य किया गया है. इन सभी 12 गांवों में 24 घंटे बिजली मिल रही है. बेहरापाठ, पहारटुडूरमा, गेंतुपानी, सिलिया, कासीटोली, जाना, डुमरडीह, चिरोडीह, भिंजपुर, झालियाबंधा, करंजकर और बेंदुआ कोना गांव में 116.4 किलोवाट मिनी ग्रिड से उत्पादन हो रहा है. सभी 12 गांवों को मिलाकर कुल 500 घरों में बिजली सप्लाई की जा रही है.
टीवी के जरिये देश-दुनिया की जानकारी मिल रही है : दृगपाल सिंह
कोब्जा पंचायत समिति सदस्य दृगपाल सिंह बताते हैं कि सौर ऊर्जा से 24 घंटे बिजली मिलने से काफी फायदा हो रहा है. ग्रामीण पहले पूरी दुनिया से कटे रहते थे, पर अब टीवी देख पाते हैं. इसके जरिये देश-दुनिया की जानकारी मिल जाती है. बच्चे अच्छे से पढ़ायी कर पाते हैं.
आधुनिक हो रहे हैं ग्रामीण : द्वारिका सिंह
ग्रामीण द्वारिका सिंह बताते हैं कि बिजली मिलने के बाद ग्रामीण आधुनिक हो रहे हैं. गांव में टीवी, फ्रिज आदि का इस्तेमाल बढ़ा है. स्मार्ट फोन का इस्तेमाल गांव के लोग करते हैं. पहले शादी-विवाह में जेनरेटर भाड़े पर लाना पड़ता था, पर अब शादी-विवाह जैसे सामाजिक आयोजनों में भी जेनरेटर की जरूरत नहीं पड़ती है. सौर ऊर्जा से काम चल जाता है.
रसोई के काम में हुई है आसानी : शारदा देवी
ग्रामीण शारदा देवी बताती हैं कि भींजपुर में 24 घंटे बिजली मिलने से काफी राहत हुई है. हर रोज मसाला और चावल पीसने में काफी मेहनत लगती थी, पर अब मिक्सर से तुरंत काम हो जाता है. समय की बचत होती है और शारीरिक श्रम भी कम लगता है. फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं, जिससे खाना खराब नहीं होता है. गर्मी से राहत के लिए पंखे का भी उपयोग करते हैं.
समिति के पास है पौने दो लाख रुपये : गीता देवी
ज्योति सौर ऊर्जा समिति की कोषाध्यक्ष गीता देवी ने बताया कि ग्रामीण सही समय पर पैसे का भुगतान कर देते हैं, जिससे समिति के खाते में पौने दो लाख रुपये जमा हो गये हैं. अभी तो प्रदान के द्वारा मदद की जा रही है, लेकिन जब पूरा जिम्मा समिति को मिल जायेगा, तब इसके रख-रखाव में यह पैसे काम आयेंगे. बिजली से मोबाइल चार्ज करने में भी आसानी हुई है.
बिजली मिलने से मिला व्यवसाय : संतोषी देवी
गांव में 24 घंटे बिजली मिलने से संतोषी देवी को गांव में ही स्वरोजगार मिल गया है. संतोषी ने धान कूटने की मशीन लगायी है, जो बिजली से चलती है. एक रुपये प्रति किलो की दर से पैसे लेती हैं. डीजल से चलनेवाली मशीन से प्रदूषण होता है, आवाज भी बहुत ज्यादा होती है और उसे चलाना भी आसान नहीं होता है.
अब मिट्टी तेल के पैसे बच जाते हैं : कलावती बिरहोर
वार्ड सदस्य कलावती बताती है कि पहले महीने में 100-150 रुपये मिट्टी तेल खरीदने में खर्च होता था, उससे पर्याप्त रोशनी भी नहीं मिल पाती थी. अब उससे कम पैसे में बिजली मिल रही है, जिससे जिंदगी आसान हो गयी है. झालियाबांध रमजा राजस्व ग्राम का टोला है. यहां बिरहोर जाति के भी कुछ परिवार रहते हैं. इस गांव में भी सौर ऊर्जा मिनी ग्रिड के जरिये बिजली आपूर्ति की जाती है.
रख-रखाव के लिए मिला है प्रशिक्षण : उर्मिला देवी
ज्योति सौर ऊर्जा समिति की अध्यक्ष उर्मिला देवी कहती हैं कि समिति के संचालन में पुरुषों का काफी सहयोग मिलता है. हर महीने बैठक होती है. समिति के सदस्यों को मिनी ग्रिड के रख-रखाव के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है. मीटर रीडिंग के बारे में भी बताया गया. गांव में जब सौर ऊर्जा मिनी ग्रिड का उद्घाटन हुआ था, उस समय ग्रामीणों को मुफ्त में एलइडी बल्ब बांटे गये थे.

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