दुर्जय पासवान, गुमला
गुमला शहर के करमटोली के समीप स्कूलों के सामने हड़िया बाजार लगता है. यह कोई एक दिन की बात नहीं है. बल्कि हर रोज की यह कहानी है. हड़िया बाजार में नशेड़ियों की भीड़ देखी जा सकती है. यहां हड़िया पीने वाले उम्र दराज ही नहीं कम उम्र के बच्चे भी रहते हैं. हड़िया बाजार की सच्चाई देखनी हो तो जिला स्कूल करमटोली, राजेंद्र अभ्यास मिव, केंद्रीय विद्यालय व कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूल के सामने प्रशासन आकर देख सकती है.
कई बार स्कूल प्रबंधन ने हड़िया बाजार हटाने की मांग की है. गांव के कुछ पढ़े लिखे लोगों ने भी नशा के व्यापार को बंद कराने की मांग की है. लेकिन प्रशासन शिकायत के बाद भी कार्रवाई को तैयार नहीं है. सबसे दिलचस्प बात. जिस स्थान पर हड़िया की दुकान लगती है.
उसके 30 कदम की दूरी पर गृह रक्षा वाहिनी (होमगार्ड) का कार्यालय भी हैं. इस कार्यालय में होमगार्ड के जवानों के अलावा अधिकारी भी रहते हैं. इसके बाद भी हड़िया बेचने वालों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है. सबसे बड़ी बात कि हड़िया पीने वाले हर रोज यहां अपशब्दों का उपयोग करते हैं. राह से पार होने वाले अच्छे लोगों को भी परेशान करते हैं.
नशे में लड़ाई झगड़ा तो आम बात है. कई छात्र बताते हैं. उन्हें हड़िया की दुकान के सामने से होकर स्कूल आना पड़ता है. हड़िया के महक से बच्चे परेशान रहते हैं. पढ़ाई से पहले या पढ़ाई के बाद बच्चों को हड़िया दुकान देखना मजबूरी हो गयी है. बगल में ग्राउंड है. जहां बच्चे खेलते हैं. स्कूलों में लड़कियां भी पढ़ती हैं.
कुछ ऐसे भी युवक हैं, जो हड़िया पीने के बाद स्कूल के सामने ही सो जाते हैं. या फिर नशे में मोटर साइकिल पर बैठकर छात्राओं को देखते रहते हैं. एक शिक्षक ने कहा कि कई बार शिकायत की. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हड़िया बेचने व पीने वालों को मना करने पर वे लड़ाई के लिए उतारू हो जाते हैं. इसलिए अब शिक्षक भी कुछ नहीं बोलते हैं और जो हो रहा है. उसे देखकर भी आंख मूंद लेते हैं.