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गुमला : कम उम्र में उठा ले गये थे नक्सली, अब बंदूक छोड़ सिलाई मशीन चला रही नक्सली रही सरिता
दुर्जय पासवान प्रशिक्षण लेकर बच्चे को अच्छा इनसान बनाना चाहती है कम उम्र में सरिता को उठा कर ले गये थे नक्सली गुमला : प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के दस्ते से घर लौटी बिशुनपुर प्रखंड की सरिता के हाथों में अब हथियार नहीं, बल्कि उसके हाथों में हुनर है. उसकी इच्छा अपने बच्चे की […]
दुर्जय पासवान
प्रशिक्षण लेकर बच्चे को अच्छा इनसान बनाना चाहती है
कम उम्र में सरिता को उठा कर ले गये थे नक्सली
गुमला : प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के दस्ते से घर लौटी बिशुनपुर प्रखंड की सरिता के हाथों में अब हथियार नहीं, बल्कि उसके हाथों में हुनर है. उसकी इच्छा अपने बच्चे की अच्छी तरह परवरिश कर उसे अच्छा इनसान बनाने की है. सरिता को वर्ष 2015 में नक्सली उठा कर ले गये थे. नक्सली दस्ते में ही एक अधेड़ नक्सली से उसकी शादी करा दी गयी थी.
लेकिन वर्ष 2017 के अप्रैल महीने में सरिता किसी प्रकार नक्सली दस्ते से भाग कर घर आ गयी थी. इसके बाद सरिता ने एक बच्चे को जन्म दिया था. बाद में प्रशासन व सीडब्ल्यूसी की पहल से सरिता को नयी जिंदगी मिली. सरिता की इच्छा पर दो महीना पहले उसे गुमला के नारी निकेतन में रख कर सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया गया. सरिता महज दो महीने में शूट-पीस, बच्चों का कपड़ा, शमीज व फ्रॉक की सिलाई करना सीख गयी.
अभी भी वह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है. सरिता का सपना है, वह सिलाई-कढ़ाई कर खुद रोजगार करेगी. मेहनत से जो पैसा कमायेगी, उससे अपने बच्चे को पढ़ायेगी. सरिता के हुनर को देख नारी निकेतन व सीडब्ल्यूसी के लोग भी प्रभावित हैं.
वर्ष 2017 में दस्ते से भाग कर घर आयी थी
सरिता वर्ष 2017 के अप्रैल महीने में भाकपा माओवादी के दस्ते से भाग कर घर पहुंची थी. सरिता सरेंडर कर चुके भाकपा माओवादी के हार्डकोर नक्सली नकुल यादव व मदन यादव के दस्ते में थी, जहां सरिता की शादी जबरन एक अधेड़ नक्सली अनिल उरांव से करा दी गयी थी.
जब अप्रैल महीने में नकुल व मदन ने सरेंडर कर दिया, तब सरिता किसी प्रकार भाग कर अपने घर आ गयी थी. उस समय प्रशासन ने सरिता की मदद की थी. सरिता उसी समय खुद को हुनरमंद बनाने की गुहार प्रशासन से लगायी थी.
बंदूक की नोक पर सिंदूर डाला गया था : सरिता की उम्र अभी 18 साल है, लेकिन जब नक्सली नकुल व मदन उसे उठा कर ले गये थे, तब वह नाबालिग थी. दस्ते से वह घर आना चाहती थी. लेकिन लोहरदगा के नक्सली अनिल उरांव से उसकी जबरन शादी करा दी गयी थी. नक्सलियों ने बंदूक की नोक पर अनिल से सिंदूरदान कराया था. सरिता के बयान पर अपहरणकर शादी व दुष्कर्म करने का मामला दर्ज कराया गया है.
नक्सली चंगुल से निकल कर सरिता घर लौटी थी. एक साल पहले उसे सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत किया गया था. उस समय उसका बच्चा छोटा था. सरिता ने कहा था. जब मेरा बच्चा बड़ा होगा , तो मैं गुमला में आकर अाजीविका के लिए प्रशिक्षण लूंगी. सरिता की इच्छा पर उसे नारी निकेतन में रख कर सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
शंभु सिंह, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी, गुमला
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