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एक्स-रे कराने में भी लूट : 70 की जगह 150 रुपये लेते हैं निजी क्लिनिक, मरीज परेशान

गुमला : शरीर के किसी हिस्से की हड्डी टूटने या शरीर की किसी प्रकार की जांच के लिए एक्स-रे कराना अनिवार्य होता है. एक्स-रे के बिना शरीर के अंदर क्या समस्या है, यह पता नहीं चलता है, लेकिन गुमला जिले में एक्स-रे के नाम पर खूब खेल चल रहा है. सरकारी अस्पताल में एक बार […]

गुमला : शरीर के किसी हिस्से की हड्डी टूटने या शरीर की किसी प्रकार की जांच के लिए एक्स-रे कराना अनिवार्य होता है. एक्स-रे के बिना शरीर के अंदर क्या समस्या है, यह पता नहीं चलता है, लेकिन गुमला जिले में एक्स-रे के नाम पर खूब खेल चल रहा है. सरकारी अस्पताल में एक बार नन डिजिटल एक्स-रे कराने की कीमत 70 रुपये है. यह गरीबों के लिए राहत की कीमत है, लेकिन निजी क्लिनिक दुगुना पैसा 150 रुपये वसूलते हैं.

एक्स-रे के इस खेल में निजी क्लिनिकों की खूब चांदी है. गुमला जिले के 11 प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. इसमें एक सदर अस्पताल (गुमला) व दो रेफरल अस्पताल (सिसई वं बसिया) है. भरनो व कामडारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़ दिया जाये, तो सभी केंद्रों में एक्स-रे मशीन है, लेकिन गुमला सदर अस्पताल व सिसई रेफरल अस्पताल की एक्स-रे मशीन चालू है. बाकी सभी जगह लाखों रुपये में खरीदी गयी एक्स-रे मशीन धूल फांक रही है. कई केंद्र में मशीन जंग खा गयी है.
कहीं तो मशीन को कूड़ा कचरा के बीच रख दिया गया है. चैनपुर, डुमरी, रायडीह, बिशुनपुर, घाघरा, भरनो, पालकोट, कामडारा व बसिया प्रखंड के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है, क्योंकि यहां एक्स-रे की सुविधा नहीं है. मजबूरन लोगों को एक्स-रे के लिए गुमला या फिर रांची जाना पड़ता है.
गरीबों की एक दिन की कमाई चली जाती है
गुमला आदिवासी बहुल जिला है. यहां गरीबी है. लोग रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. मजदूरों को एक दिन की मजदूरी 150 रुपये मिलती है, जबकि सरकारी दर 222 रुपये है. लेकिन ठेकेदार व इंजीनियर अपने लाभ के लिए मजदूरों का हक मारते हुए कम मजदूरी देते हैं. ऐसी स्थिति में अगर किसी गरीब व्यक्ति को एक्स-रे कराना पड़े, तो एक दिन की कमाई चली जाती है. जितना वह दिन भर मेहनत कर कमाता है, उतना पैसा निजी क्लिनिक वाले ले लेते हैं. पहले से गुमला एक्सीडेंटल जोन है.
इधर, कुछ दिनों से हादसे बढ़े हैं. हर हादसे में एक्स-रे कराना अनिवार्य होता है. शरीर के अंदर कोई हड्डी टूटी है या नहीं, यह जानने के लिए एक्स-रे रिपोर्ट जरूरी है. अस्पताल में 24 घंटा एक्स-रे की सुविधा नहीं है. ऐसे में लोगों को निजी क्लिनिक में जाना पड़ता है. गुमला में छह निजी क्लिनिकों के पास एक्स-रे मशीन की सुविधा है. इसमें दो डिजिटल व चार नन डिजिटल एक्स-रे मशीन है. डिजिटल की दर प्रत्येक व्यक्ति 250 रुपये व नन डिजिटल का दर 150 रुपये है. गुमला सदर अस्पताल व रेफरल अस्पताल सिसई में डिजिटल एक्स-रे की सुविधा नहीं है. यहां नन डिजिटल होता है. सरकारी दर 70 रुपये है.
भरनो व कामडारा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे मशीन नहीं है
एक्स-रे मशीन की कहां क्या स्थिति है
घाघरा सीएचसी : एक्स-रे मशीन है. उपयोग नहीं होती है. इसे कूड़ा कचरा के बीच रखा गया है. बिशुनपुर सीएचसी : एक्स-रे मशीन है. छह साल से टेक्नीशियन के अभाव में बेकार पड़ी है.
बसिया रेफरल : एक्स-रे मशीन है, लेकिन बिना उपयोग के अब जंग खा रही है.
चैनपुर सीएचसी : एक्स-रे मशीन है, परंतु बेकार पड़ी हुई है. अब तो काम भी नहीं करेगी.
पालकोट सीएचसी : एक्स-रे मशीन है, लेकिन चालू नहीं है. एक कोने में बेकार रखी हुई है.
भरनो सीएचसी : एक्स-रे मशीन नहीं है. रांची व गुमला मार्ग पर होने के कारण जरूरी है.
सिसई रेफरल : रेफरल अस्पताल होने के कारण एक्स-रे मशीन है. चालू है, परंतु लाभ नहीं.
रायडीह सीएचसी : एक्स-रे मशीन है, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा है. एक कमरे में रखी हुई है.
डुमरी सीएचसी : एक्स-रे मशीन है, लेकिन इसका उपयोग नहीं होता है. यह बेकार पड़ी हुई है.
गुमला सीएचसी : सदर अस्पताल गुमला में एक्स-रे मशीन है, जिसका उपयोग हर रोज होता है.
कामडारा सीएचसी : यहां एक्स-रें मशीन नहीं है. जिस प्रकार के हादसे हाेते हैं.मशीन जरूरी है.
जिले में एक्स-रे टेक्नीशियन के पद
स्वीकृति बल : 04
कार्यरत बल : 02
सरकारी व निजी दर (प्रत्येक व्यक्ति)
सदर अस्पताल : 70 रुपये
निजी क्लिनिक : 150 रुपये
डिजिटल दर : 250 रुपये
सिविल सर्जन डॉ एसएन झा से सीधी बात
सवाल : गुमला जिले के किन किन अस्पतालों में एक्स-रे मशीन है?
जवाब : सदर, रेफरल व सभी सीएचसी में एक्स-रे मशीन की पूर्व में खरीद हुई है.
सवाल : अभी सभी अस्पतालों में एक्स-रे चालू है या नहीं?
जवाब : सदर व सिसई रेफरल में सिर्फ चालू है. बाकी सभी जगह बेकार पड़ी है.
सवाल : आखिर खरीद होने के बाद एक्स-रे मशीन क्यों बेकार पड़ी है?
जवाब : गुमला जिले में मात्र दो टेक्नीशियन है. टेक्नीशियन की कमी के कारण बंद है.
सवाल : जब अस्पतालों में टेक्नीशियन नहीं है, तो फिर क्यों खरीद हुई?
जवाब : इसपर मैं कुछ नहीं बोल सकता कि आखिर क्यों खरीद हुई थी.
सवाल : तब तो जिन अस्पतालों में एक्स-रे मशीन है, उसे कबाड़ी में बेचना होगा?
जवाब : ऐसी बात नहीं है. इसका उपाय किया जायेगा, ताकि उपयोग हो सके.
बिना टेक्नीशियन के मशीन की खरीद
वर्ष 2011 में एक मुश्त छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए एक्स-रे मशीन की खरीद हुई थी. प्रत्येक मशीन की लागत एक लाख 38 हजार 227 रुपये था. छह मशीन की खरीद आठ लाख 29 हजार 362 रुपये में खरीदी गयी थी, लेकिन आज ये सभी मशीन अस्पतालों में धूल फांक रही है. उस समय के सिविल सर्जन व कुछ कर्मचारियों ने मिलीभगत कर कमीशन खाने के चक्कर में रायडीह, डुमरी, चैनपुर, पालकोट, बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड के लिए एक्स-रे मशीन की खरीद की थी. जबकि सीएस इस बात को जानते थे कि गुमला के किसी अस्पताल में एक्सरे मशीन चलाने के लिए टेक्नीशियन नहीं है. इसके बाद भी अपने फायदे के लिए मशीन खरीद ली. उस समय मशीन खरीद को लेकर काफी हो-हंगामा भी हुआ था. कुछ जनप्रतिनिधि कमीशन नहीं मिलने पर सीएस पर ही आरोप लगा कर मामले को तूल दिये थे. बाद में मामला शांत हुआ था.
सिर्फ गुमला अस्पताल व सिसई रेफरल अस्पताल में एक्स-रे मशीन चालू है.
जो साधन संपन्न हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं है. कीमत देकर एक्स-रे करा लेते हैं, लेकिन जो गरीब लोग हैं, उन्हें दुगुना पैसा देकर एक्स-रे कराना पड़ रहा है. प्रखंड की सभी एक्स-रे मशीन के चालू हो जाने से गांव के लोगों को परेशानी नहीं होगी.
सच्चिदानंद गोप, अधिवक्ता, खड़िया पाड़ा
बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड एक्सीडेंटल जोन है. हर रोज हादसे होते हैं और घायलों के हाथ-पैर टूटते हैं. ऐसी स्थिति में दोनों अस्पताल में एक्स-रे चालू नहीं रहने से परेशानी होती है. प्रशासन इन दोनों प्रखंड में एक्स-रे चालू कराये.
बॉबी भगत, महिला जिला अध्यक्ष, कांग्रेस

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