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विधायक ने लिखा सरकार को पत्र, लोहरदगा से गुमला तक रेलवे लाइन बिछाने की मांग

गुमला: भारत को आजाद हुए 70 साल हो गये, लेकिन आज तक गुमला मुख्यालय रेलवे लाइन से नहीं जुड़ा है. जबकि वर्ष 1975 से जनता गुमला को रेलवे से जोड़ने की मांग कर रही है. इसके लिए कई बार सर्वे भी हुआ, लेकिन हर समय राजनीति दांवपेंच के कारण मामला लटकता गया. लेकिन अब कुछ […]

गुमला: भारत को आजाद हुए 70 साल हो गये, लेकिन आज तक गुमला मुख्यालय रेलवे लाइन से नहीं जुड़ा है. जबकि वर्ष 1975 से जनता गुमला को रेलवे से जोड़ने की मांग कर रही है. इसके लिए कई बार सर्वे भी हुआ, लेकिन हर समय राजनीति दांवपेंच के कारण मामला लटकता गया. लेकिन अब कुछ उम्मीद नजर आ रही है. गुमला विधायक शिवशंकर उरांव गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग को आंदोलन का रूप देने की तैयारी में हैं. इसके लिए उन्होंने प्रक्रिया शुरू कर दी है. उन्होंने इसके लिए सरकार को पत्र लिखा है.

विधायक ने कहा है कि अगर गुमला की तरक्की चाहते हैं. यहां के लोगों में बदलाव चाहते हैं, तो लोहरदगा से गुमला तक रेलवे लाइन बिछाना जरूरी है. विधायक ने कहा है कि मैंने सरकार से मांग की है. इसमें लोहरदगा से गुमला तक रेलवे लाइन बिछाने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग विधानसभा में उठायेंगे. मैं खुद अपने नेतृत्व में गुमला से छह प्रतिनिधि लेकर दिल्ली जाऊंगा और प्रधानमंत्री व रेल मंत्री से मिल कर अपनी बातों रखूंगा.

पहली बार 1975 में मांग उठी
झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य की दूरियों को कम करने व रेल सुविधा को लेकर सर्वप्रथम 1975 में कोरबा से रांची जिला तक रेल लाइन बिछाने की मांग उठी थी, लेकिन रांची से कोरबा की दूरी को देखते हुए अंत में कोरबा से लोहरदगा तक रेल लाइन बिछाने की मांग उठने लगी. यह मांग अभी भी अनवरत जारी है. दोनों राज्य के सांसद व विधायक कई बार रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे कराया, लेकिन सर्वे तक ही रेल लाइन सिमट कर रह गया है.
सिर्फ पहल हो रही है, रेल लाइन अभी भी सपना
एक साल पहले सर्वे की पहल हुई थी, लेकिन यह पहल तक ही सीमित होकर रह गयी. दक्षिणी-पूर्व-मध्य रेलवे बिलासपुर सेक्शन के चीफ ऑपरेशन मैनेजर जीएमएस नायडू ने गुमला डीसी को पत्र भेजा था. जिसमें श्री नायडू ने डीसी से गुमला से गुजरने वाली रेलवे लाइन की स्थिति की जानकारी मांगी थी. दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे से मांगी गयी रिपोर्ट के बाद गुमला जिला प्रशासन गंभीर हुआ था. डीसी श्रवण साय ने गुमला जिला अंतर्गत गुमला, रायडीह, भरनो व चैनपुर सीओ को पत्र भेज कर भौगोलिक बनावट व क्षेत्र की पूरी जानकारी देने के लिए कहा था. लेकिन अभी तक सर्वे की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. ज्ञात हो कि गुमला जिला की जनता आजादी के बाद से ही यहां रेल का इंतजार कर रही है. इसके लिए लगातार आंदोलन भी हुआ, लेकिन अभी तक गुमला रेल लाइन से नहीं जुड़ा है. इधर विधायक की पहल से गुमला को रेल लाइन से जोड़ने की उम्मीद जगी है.
रेल मार्ग से रोजगार के अवसर खुलेंगे
गुमला से लोहरदगा तक रेल लाइन बिछ जाता है, तो 55 किमी की दूरी तय करनी होगी. लोहरदगा जिला में उद्योग स्थापित है. यहां से कच्चे माल का आयात निर्यात आसानी से होगा. साथ ही यहां के बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. सबसे बड़ा फायदा गुमला से होगा, जो कृषि के क्षेत्र में नित्य आगे बढ़ रहा है. किसानों द्वारा उपजायी गयी सब्जी छत्तीसगढ़ राज्य भी आसानी से भेजी जा सकती है.

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