अस्पताल को डर है कि कहीं खून की कमी से किसी की मौत न हो जाये. क्योंकि खून की कमी के मरीज हर रोज अस्पताल आते है. खासकर गर्भवती महिलाओं व बच्चों को खून की अधिक जरूरत पड़ती है. ऐसे में समय पर खून नहीं मिलने से मरीज की जान जा सकती है. अस्पताल प्रशासन व ब्लड बैंक ने सामाजिक संस्थाओं के लोगों से रक्तदान करने की अपील की है.
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कमी: ब्लड की कमी से ब्लड बैंक व अस्पताल प्रशासन परेशान, जरूरत प्रतिदिन 25 यूनिट और ब्लड बैंक में मात्र सात यूनिट ब्लड
गुमला: गुमला में प्रतिदिन 25 यूनिट ब्लड (खून) की जरूरत है. लेकिन अभी गुमला सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में मात्र सात यूनिट ब्लड है. खून की कमी होने से ब्लड बैंक व अस्पताल प्रशासन परेशान है. अस्पताल को डर है कि कहीं खून की कमी से किसी की मौत न हो जाये. क्योंकि खून […]
गुमला: गुमला में प्रतिदिन 25 यूनिट ब्लड (खून) की जरूरत है. लेकिन अभी गुमला सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में मात्र सात यूनिट ब्लड है. खून की कमी होने से ब्लड बैंक व अस्पताल प्रशासन परेशान है.
अस्पताल को डर है कि कहीं खून की कमी से किसी की मौत न हो जाये. क्योंकि खून की कमी के मरीज हर रोज अस्पताल आते है. खासकर गर्भवती महिलाओं व बच्चों को खून की अधिक जरूरत पड़ती है. ऐसे में समय पर खून नहीं मिलने से मरीज की जान जा सकती है. अस्पताल प्रशासन व ब्लड बैंक ने सामाजिक संस्थाओं के लोगों से रक्तदान करने की अपील की है.
1000 यूनिट रक्त संग्रह करने की क्षमता
ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन राकेश कुमार ने बताया कि अभी ब्लड बैंक में सात यूनिट खून है. इसमें ए प्लस तीन यूनिट, ओ प्लस दो यूनिट व एबी निगेटिव दो यूनिट ब्लड है. जबकि मरीजों के हिसाब से प्रतिदिन 25 यूनिट ब्लड की जरूरत है. ब्लड नहीं रहने से परेशानी होती है. खून की कमी मरीजों की जान बचाने के लिए ब्लड की जरूरत है. राकेश ने बताया कि गुमला ब्लड बैंक में एक महीने तक करीब एक हजार यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है. गुमला ब्लड बैंक सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से चल रहा है. जरूरत के समय लोग रक्तदान करते हैं. उसी ब्लड को मरीजों को दी जाती है.
ये संस्थाएं स्वेच्छा से करती है रक्तदान
गुमला जिले में कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो स्वेच्छा से रक्तदान करती है. लोगों के सहयोग से ही अभी तक ब्लड बैंक संचालित होता आया है. ऐसे अभी जीवन व लाइन लाइन दो संस्थाएं बेहतर काम कर रही है. गुमला के युवाओं द्वारा बनाया गया यह संस्था लगातार रक्तदान करते आया है. जरूरत पड़ने पर रात को भी युवाओं द्वारा रक्तदान किया जाता है. अन्य संस्थाओं में चेंबर ऑफ कामर्स, नेहरू युवा केंद्र गुमला, ब्लड ग्रुप घाघरा व पालकोट की जनता रक्तदान करती है. ऐसे अभी ब्लड की कमी होने से प्रशासन की नजर इन संस्थाओं पर है, जो सहयोग के लिए आगे आये.
ब्लड कम होने से बनी भयावह स्थिति
गुमला में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दो रेफरल अस्पताल व एक सदर अस्पताल है. यहां प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते है. करीब 200 मरीज प्रतिदिन अस्पताल में भरती होकर इलाज कराते है. इसमें करीब 20 से 25 मरीजों को प्रतिदिन ब्लड की जरूरत पड़ती है. ऐसे ब्लड बैंक से मरीजों को ब्लड लेने में 350 रुपये मरीज को देने पड़ते है. यह पैसा ब्लड बैंक के संचालन में खर्च होता है. इधर, ब्लड की कमी होने से गुमला में भयावह स्थिति बन गयी है.
नये ब्लड बैंक का जेनेरेटर खराब, परेशानी
चार माह पहले नये ब्लड बैंक भवन का जेनेरेटर खराब हो गया है, जिसकी अभी तक मरम्मत नहीं की गयी है. इससे नये ब्लड बैंक को बंद कर दिया गया है. खराब जेनेरेटर को बनाने का प्रयास हो रहा है, परंतु घटिया खरीदारी से जेेनेरेटर नहीं बन रहा है. नया ब्लड बैंक बंद होने से परेशानी हो रही है. हालांकि वैकल्पिक रूप से पुराने ब्लड बैंक के भवन का उपयोग किया जा रहा है. कर्मचारियों ने कहा कि नये ब्लड बैंक में रक्त लेने व देने की मशीन थी. अभी भी वह नये ब्लड बैंक के भवन में है. कुछ मशीन को पुराने भवन में स्थापित की गयी है. जिससे अभी काम चलाऊ काम हो रहा है.
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