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आधी अधूरी तैयारी के बीच हुई धान खरीदारी की घोषणा

जल्दबाजी. कहीं अधर में लटक न जाये गोड्डा में धान क्रय मामला जिले में धान क्रय का मामला एक बार फिर खटाई में पड़ सकता है. धान क्रय करने के लिए चयनित पैक्स समितियों ने धान क्रय के मामले को लेकर हाथ खड़े कर दिये हैं. इसके कारण इस मामले पर अनिश्चितता का बादल एक […]

जल्दबाजी. कहीं अधर में लटक न जाये गोड्डा में धान क्रय मामला

जिले में धान क्रय का मामला एक बार फिर खटाई में पड़ सकता है. धान क्रय करने के लिए चयनित पैक्स समितियों ने धान क्रय के मामले को लेकर हाथ खड़े कर दिये हैं. इसके कारण इस मामले पर अनिश्चितता का बादल एक बार फिर से मंडराने लगा है.
गोड्डा : जिले में धान क्रय की शुरुआत होने के कुछ ही दिन बाद धान क्रय का मामला खटाई में पड़ गया. गोड्डा में धान क्रय के लिए नैकॉफ संस्था को नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसके माध्यम से ही सहकारी समितियों को धान क्रय किया जाना है. अब नैकॉफ संस्था की लापरवाही के कारण क्रय समितियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर ही समितियों ने बैठक कर किसानों से धान नही खरीदने का फैसला लिया है तथा इसकी कॉपी जिला प्रशासन को सौंप दी है.
कहां अटका है मामला
धान क्रय के मामले में हुई लापरवाही का ठीकरा सहकारी समितियों ने नैकॉफ पर मढ़ा है. क्रय समितियों की शिकायत भी वाजिब है. जानकारी के अनुसार इस बार धान क्रय किये जाने के पूर्व किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया जाना था. इसके अनुरूप समितियों द्वारा किसानों का पंजीयन तो करा दिया गया लेकिन इस मामले में घोर लापरवाही नोडल एजेंसी ने कर दी. जानकारी के अनुसार गोड्डा प्रखंड के किसानों का रजिस्ट्रेशन करा कर महगामा के करनू पैक्स भेज दिया गया. जो बिल्कुल ही गलत है. गोड्डा प्रखंड के किसानों की एंट्री तो निश्चित रूप से गोड्डा प्रखंड क्षेत्र में ही पैक्स के लिए की जानी चाहिये थी लेकिन नोडल एजेंसी नैकॉफ ने गलत एंट्री कराकर अब मामले को विवादास्पद बना दिया. इसके अलावे पंजीकृत किसानों का अकाउंट नंबर की भी गलत इंट्री कर दी गयी. इसके कारण किसानों को बेचे गये धान के एवज में भुगतान करने में भी परेशान क्रय समितियों ही होगी. साथ ही क्रय समितियों ने नोडल एजेंसी पर अन्य मामले में भी आरोप मढ़ा है. क्रय समितियों ने बताया कि एकरारनामा के अनुरूप क्रय समितियों को न तो बोरा दिया गया है और न ही मजदूरी खर्च. साथ ही क्रय समितियों ने यह भी बताया कि धान क्रय किये जाने के बाद भी राइस मिल द्वारा एक क्विंटल में 10 किलो तक धान काट लिया जाता है. इसी कारण से क्रय समितियों ने हाथ खड़े किये हैं.
पिछले साल की तुलना में मात्र एक तिहाई ही हो पायी है धान की खरीद
माह के शुरू में ही विभाग को झटका लगा है. मालूम हो कि पिछले साल 19 फरवरी तक नौ हजार क्विंटल धान की खरीदारी हो पायी थी. जबकि इस बार मात्र विभाग 36 सौ क्विंटल ही धान खरीद पाया है. ऐसे में धान की खरीदारी का स्पीड सहज ही देखकर लगाया जा सकता है. हालांकि जिले मे पिछले बार कुल 38 सहकारी समितियां धान की खरीदारी में लगी थी. जबकि इस बार महज 14 से 15 समितियों को ही धान की खरीदारी करने का जिम्मा सौंपा गया है.
नैकॉफ के कारण धान क्रय समितियों ने खड़े किये हाथ
किसानों ने जिला प्रशासन को कराया अवगत
भुगतान करने में होगी परेशानी
एक सप्ताह का समय
नैकॉफ को सुधार के लिये एक सप्ताह का समय दिया गया है. क्रय समितियों ने कुछ मामले को लेकर विरोध किया है. मामले को देखा जा रहा है. जल्द ही इसका निदान किया जायेगा. को-ऑपरेटिव सिर्फ क्रय समितियां खोली है. धान की खरीदारी का भुगतान नैकॉफ को ही किया जाना है.’’
-अमर भूषण क्रांति, डीसीओ, गोड्डा

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