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31 को बंद हो जायेगा आइटीआइ कॉलेज

मामला. कोयला का लीज समाप्त होने पर जिंदल कंपनी ने संचालन से झाड़ा पल्ला सिकटिया में हर साल 100 बच्चों की पढ़ाई हो जायेगी ठप 2010 से जिंदल ने संचालन का लिया था जिम्मा छह वर्ष के दौरान 12 करोड़ की राशि किया है खर्च गोड्डा : छह साल तक दो हजार ग्रामीण बच्चों को […]

मामला. कोयला का लीज समाप्त होने पर जिंदल कंपनी ने संचालन से झाड़ा पल्ला

सिकटिया में हर साल 100 बच्चों की पढ़ाई हो जायेगी ठप
2010 से जिंदल ने संचालन का लिया था जिम्मा
छह वर्ष के दौरान 12 करोड़ की राशि किया है खर्च
गोड्डा : छह साल तक दो हजार ग्रामीण बच्चों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने वाला आटीआइ काॅलेज 31 अगस्त को पूर्ण तरीके से बंद हो जायेगा. इससे जिले के 100 बच्चों की तकनीकी पढ़ाई हर साल ठप हो जायेगी. राज्य गठन के 10 साल बाद अगर गोड्डा में आइटीआइ काॅलेज बनकर चालू हुआ भी तो इस काॅलेज पर संकट के बादल ने पूरी तरह से ढंक लिया है. हालांकि बंद तो 2015 के जून में ही हो गया.
पर दो वर्ष के प्रशिक्षण के कारण 12 बच्चों की शिक्षा को देखते हुए 2016 तक चलाया गया. 2010 में आइटीआइ काॅलेज को चलाने का जिम्मा जिंदल कंपनी को दिया गया. जिंदल ने अपनी पूरी ताकत के साथ कई ट्रेडो के साथ बच्चों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया. प्रशिक्षण के लिए कंपनी द्वारा करीब ढ़ाई करोड़ रुपये इंप्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर संचालित किया. बच्चों को ट्रेनिंग, भोजन, आवागमन तथा छात्रवृति करीब 10 करोड़ खर्च कर छह वर्षों के दौरान 12.50 करोड़ की राशि वहन किया. संस्थान से अब तक दो हजार बच्चों ने तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया है.
जिंदल कंपनी का कोयला का लीज समाप्त कर देने के बाद संकट आते ही जिंदल ने पल्ला झाड़ लिया. सरकार को लिखित रूप से दिये जाने के बाद 2015 के जून में ही सरकार ने इसीएल से चलवाने का निर्णय लिया. महगामा विधायक अशोक भगत ने भी सरकार के समक्ष इसीएल को पीपी मोड पर आइटीआइ संचालन के लिये निर्देश दिलाया. एक वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक इस दिशा में काम आगे नहीं बढ़ पाया. गोड्डा जिला शिक्षा की दृष्टिकोण से काफी ऊपर है. फिर भी बच्चों को शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता है.
बेकार हो जायेगा करोड़ों का भवन
गोड्डा के सुंदरपहाड़ी में बने करोड़ों की लागत के बना आइटीआइ भवन भी बेकार हो जायेगा. सरकार ने अडानी को आइटीआइ चलाने के लिये अपनी ओर से स्वीकृति दी थी. बताया जाता है कि फरवरी मार्च के महीने में कंपनी की ओर से आइटीआइ चलाने को लेकर पहल शुरू की गयी थी. अचानक तब्दीली के बाद से ठंढे बस्ते में मामला चला गया. जानकारी के मुताबिक अब सरकार स्वयं उक्त आइटीआरइ को चलाने की सोच रही है.

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