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सड़क व नाला को तरस रहे लोग

प्रभात खबर आपके द्वार. आजम पकड़िया के ग्रामीणों ने सुनायी परेशानी मुसलिम बहुल जमनीकोला पंचायत के आजम पकड़िया गांव में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं है. दो चापाकल के सहारे 1100 की आबादी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. एक भी सरकारी शौचालय नहीं बन पाया है. बसंतराय : ग्रामीणों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं […]

प्रभात खबर आपके द्वार. आजम पकड़िया के ग्रामीणों ने सुनायी परेशानी

मुसलिम बहुल जमनीकोला पंचायत के आजम पकड़िया गांव में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं है. दो चापाकल के सहारे 1100 की आबादी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. एक भी सरकारी शौचालय नहीं बन पाया है.
बसंतराय : ग्रामीणों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं है. पेंशन लेने के लिए लाभुक दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. जनप्रतिनिधि व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति ग्रामीणों नाराजगी देखी जा रही है. ये बातें प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में जमनीकोला पंचायत के आजम पकड़िया के ग्रामीणों ने कही. ग्रामीणों ने बताया कि 100 घरों की आबादी 1100 है. वोटरोें की संख्या भी 612 है. अल्पसंख्यक बहुल गांव के अधिक ग्रामीणों को अब तक किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल पायी है. नाला व पीसीसी सड़क के ग्रामीण तरस रहे हैं.
स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र भी गांव में नहीं है. जल निकासी की सुविधा नहीं रहने के कारण घरों का पानी सड़कों पर बहता है. स्वच्छता अभियान के तहत एक भी गांव में शौचालय नहीं बन पाया है. बरसात के दिनों में भी स्थानीय लोगों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. मात्र दो ही चापाकल पूरे गांव की आबादी प्यास बुझाती है. बीपीएल परिवार झोपड़ी के घर में जिंदगी काट रहे हैं.
” अल्पसंख्यक गांव पर किसी की नजर नहीं है, लगातार मुखिया से लेकर जनप्रतिनिधियों को कहने के बावजूद अब तक एक भी पीसीसी सड़क व नाला का निर्माण नहीं किया जा सका है.”
..-हाजी सैयद , ग्रामीण
” ग्रामीणों को बरसात में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सड़क की हालत नारकीय बन जाती है. पक्की सड़क का सपना अधूरा रह गया है. जनप्रतिनिधि व अधिकारी उदासीन बने हुए हैं.
-अब्दुल गफ्फार, ग्रामीण
” सिंचाई सुविधा का अभाव है. इंद्र भगवान के भरोसे खेती होती है. बारिश नहीं होने पर धान की फसलें सूख जाती है. सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश है.
– अब्दुल गनी , ग्रामीण
” गांव के लोगों को अब तक एक भी राशन कार्ड नहीं मिल पाया है. एक भी शौचालय का लाभ नहीं मिल पाया है, जबकि मामले की शिकायत किये जाने के बावजूद विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं हो पाती है.
– फिरोजा खातून
” गांव की महिलाओं को अब तक वृद्धावस्था पेंशन का लाभ नहीं मिल पाया है. बार-बार फार्म भर कर भेजा जाता है. बाद में पता चलता है कि स्वीकृति नहीं मिली है. पेंशन की आस में उम्र की आखिरी पायदान पर पहुंच गये हैं. ”
-फरीदा खातून
ग्रामीणों को अब तक एक भी प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिला है. कई बीपीएल परिवार फूस की झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं. व्यवस्था की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों में आक्रोश गहरा रहा है.

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