19,600 फीट ऊंचे माउंट कनामो पर पर्वतारोहण कर गोड्डा के ऋतिक राज ने गोड्डा सहित झारखंड का मान बढ़ाया है. शनिवार को वह गोड्डा पहुंचा है. ऋतिक की इस उपलब्धि पर घर वाले गर्व कर रहे हैं. ऋतिक की तमन्ना अब दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने की है.
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कनामो पर तिरंगा लहरा कर गोड्डा लौटा ऋतिक
19,600 फीट ऊंचे माउंट कनामो पर पर्वतारोहण कर गोड्डा के ऋतिक राज ने गोड्डा सहित झारखंड का मान बढ़ाया है. शनिवार को वह गोड्डा पहुंचा है. ऋतिक की इस उपलब्धि पर घर वाले गर्व कर रहे हैं. ऋतिक की तमन्ना अब दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने की है. जज्बे को […]
जज्बे को सलाम
गोड्डा : 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे महज 17 साल के उम्र में गोड्डा के ऋतिक राज हिमाचल प्रदेश के कनामो पर्वत पर तिरंगा लहराने के बाद अपने घर गोड्डा लौट आया है. बता दें कि 19600 फीट ऊंचे कनामो पर्वत पर चढ़ने वालाें में अब तक के पर्वतारोहियों में ऋतिक पहला है. अब तक किसी ने इतनी कम उम्र में माउंट कनामो पर्वत का पर्वतारोहण नहीं किया. ऋतिक की इस उपलब्धि पर पिता सुनील प्रसाद यादव, मां स्नेहलता कुमारी, दादी उमा देवी काफी खुश हैं.
दादी ने गर्व करते हुए कहा : उम्र के आखिरी पड़ाव में पोते ऋतिक ने दुनिया भर की खुशी झोली में डाल दी है. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की टीम के साथ गया था ऋतिक. इस टीम में कुल दस लोग शामिल थे. उनमें से ऋतिक सबसे छोटा था. ऋतिक ने बताया कि फाउंडेशन ने तो उसकी उम्र के तकाजे को देखते हुए पर्वतारोहण को लेकर मना कर दिया था. उनका कहना था कि आज तक इतनी कम उम्र में किसी ने माउंट कनामो का पर्वतारोहण नहीं किया है. लेकिन वहां दालमा में चयन होने के बाद टीम ने वहां जाने की स्वीकृति दी.
19600 फीट का पर्वतारोहण कर ऋतिक ने बढ़ाया गोड्डा का मान
ऋतिक के टीम में शामिल थे दस लोग, इनमें भी वह सबसे कम उम्र का पर्वतारोही था
किब्बर में एक दिन रुकने के बाद 14 अगस्त की रात तीन बजे पर्वतारोहण शुरू किया
सात घंटे की मुश्किल के बाद 14 अगस्त को 9:50 बजे कनामो पर्वत पर लहराया तिरंगा
पहला सबसे कम उम्र का लड़का है ऋतिक, जो कनामो पर चढ़ा
दुनिया के सबसे ऊंचे गांव किब्बर में रुका था एक दिन
ऋतिक ने कहा टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की टीम चार अगस्त को दिल्ली के लिए निकल गयी. टीम में झारखंड का एकमात्र ऋतिक था. कहा : दिल्ली में एक दिन रूकने के बाद मनाली पहुंचे. मनाली से आठ अगस्त को माउंट कनामो पर्वतारोहण के लिए निकले. मनाली से 250 किमी आगे सिप्टी वैली शुरू होता है. पहले टीम के साथ ‘काजमा’ नामक गांव में पहुंचे.
वहां वे सभी बेछेंद्री पाल तथा प्रेमलता अग्रवाल से मिले. टीम लीडर संदीप तोयलिये व टीम मैनेजर प्रवण ने कहा कि दूसरे दिन सुबह से उनका प्रैक्टिस शुरू हो गया. पहले दिन सभी आस पास के पहाड़ (पाये, ताह) पर आठ घंटे का ट्रैक कराया गया. ट्रेनिंग के दौरान ऑक्सीजन की काफी कमी महसूस हुई.
फिर आगे बढ़े ‘कजा’ नामक गांव में रुके उसके बाद दुनियां के सबसे ऊंचे गांव ‘किब्बर’ की ओर रवाना हो गये. एक दिन वहां रुकने के बाद फिर बेस कैंप के लिए निकल गये. वहां एक दिन रुकने के बाद, फिर 14 अगस्त की रात तीन बजे से ट्रैकिंग शुरू हो गया. करीब सात घंटे की बेहद मुश्किल वाली ट्रैकिंग के बाद 14 अगस्त को 9:50 बजे कनामो पर्वत पर तिरंगा झंडा लहराने का काम किया.
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