आजादी के 70 वर्ष बीत गये, इस बीच देश ने काफी तरक्की कर ली, लेकिन आज भी जब सुदूरवर्ती गांवों का हाल देखते हैं तो ये तरक्की बेमानी सी लगने लगती है. गिरिडीह जिला में कई ऐसे गांव हैं जहां के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. पक्की सड़क नहीं होने की वजह से बारिश के समय कीचड़ भरे रास्ते से आवागमन मुश्किल भरा हो जाता है. लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.
देवरी : सरकार उग्रवाद प्रभावित इलाकों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है, बावजूद कई गांवों तक विकास की रोशनी नहीं पहुचं पायी है. देवरी प्रखंड स्थित उग्रवाद प्रभावित हरियाडीह पंचायत के मंदनाडीह गांव को आवागमन के लिए मुकम्मल सड़क भी नसीब नहीं है.एक हजार की आबादी वाला यह गांव प्रखंड मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
यहां के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए चार किलोमीटर की दूरी पगडंडी के सहारे तय करनी पड़ती है. पंचायत मुख्यालय जाने के ग्रामीणों को नाला पार करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि सामान्य दिनों में तो जैसे-तैसे आवागमन कर लेते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में आवागमन में भारी परेशानी होती है. सड़क नहीं होने से गांव के बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी होती है. इधर, गांव में पिछले डेढ़ वर्ष से बिजली भी गुल है. इस बाबत बीडीओ कुमार देवेश द्विवेदी ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत गांव में सड़क का निर्माण किया जायेगा. वहीं विद्युत विभाग के कनीय अभियंता बिरसा उरांव ने बताया कि टूटे तार को जोड़ कर गांव में जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल की जायेगी.
डेढ़ वर्ष से गांव है अंधकार में
मंदनाडीह गांव के उप मुखिया पौलुस टुडू का कहना है कि सड़क की सुविधा नहीं रहने एवं विद्युत आपूर्ति ठप रहने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों से गुहार लगाये जाने के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. गांव में डेढ़ वर्ष से भी बिजली आपूर्ति ठप है. डेढ़ वर्ष पूर्व मानसिंहडीह के पास 11 हजार का तार टूट कर गिर गया था. तार टूटने के बाद विद्युत विभाग को कई बार सूचना दी गयी. बावजूद आज तक तार को नहीं जोड़ा गया. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं रहने से छोटे-छोटे बच्चों पढ़ाई से वंचित है.