– हल्के में लेना पुलिस प्रशासन को पड़ा महंगा
– अंवराबेड़ा से लौटकर दीपक पांडेय
तोपचांची : गिरिडीह जिला के पीरटांड़ थाना क्षेत्र के सिमराढाब स्थित अंवराबेड़ा पहाड़ी में सोमवार को नक्सलियों ने एक साथ 50 विस्फोट किये थे. यहां आधा किमी तक लैंड माइंस बिछायी गयी थी. इस दौरान सर्च ऑपरेशन में निकली सीआरपीएफ, जगुआर और जिला पुलिस बल के डेढ़ दर्जन जवान चपेट में आ गये. घटना में एक जवान शहीद हो गया, वहीं 16 जवान घायल हो गये. विस्फोट के बाद सड़क में दो फीट चौड़ा और दो फीट गहरा गड्ढा बन गया. नक्सलियों ने हर तीन-चार फीट पर विस्फोटक प्लांट कर रखा था. सूत्र बताते हैं कि माओवादियों का लक्ष्य अधिक-से-अधिक जवानों को हताहत कर हथियार लूटना और शासन-प्रशासन को चुनौती पेश करना था. वे काफ ी हद तक अपने मिशन में कामयाब भी रहे. हालांकि शासन के लिए यह सुखद बात रही कि उनके जवान कम संख्या में हताहत हुए और हथियार लूटने से बच गया.
सुदूर इलाका है घटनास्थल
धनबाद जिले के सतकीरा मोड़ से लगभग दो किमी उत्तर जाने के बाद राजाबांध से पैदल चार किमी चल सिमराढाब की अंवराबेड़ा पहाड़ी पहुंचा जाता है. नक्सलियों ने सुनियोजित तरीके से यहीं पर घटना को अंजाम दिया़ यह जगह गिरिडीह के पीरटांड़ थाना क्षेत्र व मधुबन पंचायत तथा जिले की अंतिम छोर पर ढोलकट्टा नाला के ऊपर बसी है. यहां से पूर्व की ओर अंवराबेड़ा पहाड़ी की चोटी पर सीआरपीएफ, जगुआर और जिला पुलिस ने संयुक्त सर्च अभियान चला रखा था. पीरटांड़ की तुइयो पंचायत से चार अगवा लोगों को ये लोग ढूंढ़ रहे थे.
बिखरे पड़े हैं पुलिस जवानों के कई सामान
आधा किमी के हिस्से में जवानों के फटे कपड़े, खाने का सामान, दवाइयां, बेल्ट, दो जवानों के बैग, मेडिकल कीट, फटी बुलेट प्रूफ जैकेट व पानी की बोतल पड़ी हुई थीं. शहीद जवान बादल राय का वोटर कार्ड व कुछ और सामान मौके पर पड़ा मिला. इस जगह से जहां तक नजर जाती है, पहाड़ी और घने जंगल ही दिखाई देते हैं. दूर-दूर तक आबादी का नामोनिशान नहीं है. सुदूर घटनास्थल से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि घटना के बाद जवान किस तरह अपने आप को संभाले होंगे और लगभग दो किमी दूर अपने घायल साथियों को कंधे पर लाद सिमराढाब पहुंचे होंगे.
नहीं था अंदेशा
सीआरपीएफ, जगुआर और जिला पुलिस बल के जवान कतार में चल रहे थे. कतार में ही विस्फोटक प्लांट किये गये थे. अंवराबेड़ा के पास अचानक लैंड माइंस विस्फोट की गयी. विस्फोट इतना तीव्र था कि चाह कर भी जवान खुद को संभाल नहीं पाये. वे जवान खुशकिस्मत रहे, जो विस्फोटकों के मध्य में थे. उन्हें ज्यादा चोट नहीं पहुंची. जो विस्फोटक के ईद-गिर्द थे, उन्हें अधिक नुकसान ङोलना पड़ा. जंगल की पगडंडी वाले रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर, बलुआ मिट्टी, बांस और लकड़ी के टुकड़े नजर आते हैं. जहां घटना घटी, एक ओर खाई है, दूसरी ओर पहाड़ है. आगे अंधा मोड़ है. घटनास्थल पर खून सनी बलुआ और लाल मिट्टी नजर आ रही थी. बारूद की गंध मंगलवार को स्पष्ट आ रही थी.