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घर लौटने की खुशी में आंखों से छलके आंसू
डुमरी/इसरी बाजार : इबोला वायरस के भय से गिरिडीह जिला के 25 मजदूर दक्षिण अफ्रीका के कांगो से गुरुवार की सुबह पारसनाथ स्टेशन पहुंचे. इनमें से दस मजदूर डुमरी प्रखंड के विभिन्न गांवों के थे. घर पहुंचने की खुशी उनके चेहरे से झलक रही थी. इन सभी को स्वस्थ देख परिजनों की भी बांछें खिल […]
डुमरी/इसरी बाजार : इबोला वायरस के भय से गिरिडीह जिला के 25 मजदूर दक्षिण अफ्रीका के कांगो से गुरुवार की सुबह पारसनाथ स्टेशन पहुंचे. इनमें से दस मजदूर डुमरी प्रखंड के विभिन्न गांवों के थे. घर पहुंचने की खुशी उनके चेहरे से झलक रही थी. इन सभी को स्वस्थ देख परिजनों की भी बांछें खिल गयी. कांगो से लौटने वाले मजदूरों में डुमरी प्रखंड के कसमाकुरहा गांव के सोहन महतो, लोकनाथ महतो, निर्मल महतो व भुनेश्वर महतो ने पारसनाथ स्टेशन पर प्रभात खबर के साथ बातचीत की.
बताया कि गुरुवार को मुंबई-हावड़ा मेल से डुमरी व बगोदर प्रखंड के 25 लोग कांगो से यहां पहुंचे. उनके साथ कुछ अन्य लोग हजारीबाग जिला के थे, जो हजारीबाग रोड स्टेशन पर उतरे. डुमरी प्रखंड के अन्य छह लोगों में निचितपुर गलागी के सुधन महतो, जीतन महतो व खिरोधर महतो, बरियारपुर के दुलारचंद महतो, युधिष्ठिर महतो व एक अन्य शामिल है. बताया कि आठ सितंबर को कांगो से हवाई जहाज से 93 भारतीय मजदूर मुंबई पहुंचे थे. इसमें करीब 60 मजदूर हजारीबाग जिला के है.
डुमरी प्रखंड के छह-सात मजदूर हवाड़ा-मुंबई ट्रेन से शुक्रवार को पारसनाथ स्टेशन पहुंचेंगे. इनलोगों ने बताया कि कांगो में इबोला वायरस के प्रकोप के कारण सभी स्वदेश लौटना चाह रहे थे, लेकिन कल्पतरू कंपनी के अधिकारी उन्हें जबरन रोके हुए थे और मजदूरी का बकाया पैसा नहीं दे रहे थे. काफी झगड़ा-झंझट के बाद कंपनी ने उन्हें पैसा दिया, तो वे सभी वापस अपने देश लौट सके. इस दौरान किसी भी स्तर से कोई सहायता नहीं मिली. अब अपने वतन लौट कर खुश है. ये सभी मजदूर ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए दो वर्ष के अनुबंध पर गये थे, लेकिन इबोला वायरस के प्रकोप के कारण बीच में ही उन्हें स्वदेश लौटना पड़ा.
दक्षिण अफ्रीका के कांगो में अभी भी गिरिडीह और हजारीबाग जिला के 150 से ज्यादा मजदूर फंसे हुए है. कांगो से लौटे सोहन महतो ने बताया कि उसके बड़े भाई कन्हैया प्रसाद महतो कल्पतरू कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर है. कंपनी ने उन्हें अभी नहीं छोड़ा है. डुमरी प्रखंड के गलागी के चार, मंगलूआहर के तीन, सेवाटांड़ के एक सहित एक दर्जन मजदूर अभी भी कांगो में फंसे हुए हैं. सभी स्वदेश वापस आने का प्रयास कर रहे है. बताया कि वे कांगो के जिस शहर में थे, वहां से करीब 500 किमी की दूरी पर इबोला वायरस का भयंकर प्रकोप था.
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