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तीन सौ मीटर पर थी पुलिस, लूटपाट करते रहे अपराधी

दहशत में यात्री. गिरिडीह-डुमरी मार्ग पर लटक‍ट्टो जंगल में लुटेरों का दुस्साहस, नहीं रहा पुलिस का खौफ करीब सात से आठ किलोमीटर के दायरे में सड़क के दोनों ओर पुलिस की तैनाती बावजूद पिकेट से कुछ दूरी पर लूटपाट की घटना से एक ओर जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की […]

दहशत में यात्री. गिरिडीह-डुमरी मार्ग पर लटक‍ट्टो जंगल में लुटेरों का दुस्साहस, नहीं रहा पुलिस का खौफ
करीब सात से आठ किलोमीटर के दायरे में सड़क के दोनों ओर पुलिस की तैनाती बावजूद पिकेट से कुछ दूरी पर लूटपाट की घटना से एक ओर जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है.
लटकट्ट्रो पुलिस पिकेट के पास जवान तैनात थे और मधुबन मोड़‍ के पास गश्त के लिए निकला वज्र वाहन खड़ा था, वहीं बीच में यात्री लूटे जा रहे थे. लोगों का कहना है कि कई यात्रियों ने पिकेट के जवानों को घटना की सूचना भी दी, बावजूद वरीय अधिकारी का आदेश लेने की बात कह जवान घटनास्थल पर तत्काल नहीं गये.
राकेश सिन्हा/अमरनाथ
गिरिडीह : गिरिडीह-डुमरी सड़क पर लटक‍ट्टोजंगल के पास बुधवार की देर रात में डेढ दर्जन वाहनों से लूटपाट के बाद इलाके में दहशत है. रात लगभग नौ बजे से 10.30 बजे के बीच अपराधी उत्पात मचाते रहे और घटना के बाद आसानी से चलते बने. घटनास्थल से दोनों छोर पर कुछ ही दूरी पर पुलिस तैनात थी और लटकट्टो पिकेट से महज तीन सौ मीटर की दूरी पर यात्रियों से लूटपाट की जा रही थी. अपराधियों ने लटकट्टो जंगल के पुलिया के पास एक पेड़ को काटकर सड़क पर गिरा दिया था.
जैसे ही एक बस उक्त स्थल पर पहुंची, अपराधियों ने उसे रोककर आड़े-तिरछे लगा दिया और बेखौफ होकर डेढ़ घंटे तक यात्रियों के साथ मारपीट और लूटपाट की. यात्रियों से मोबाइल छिन लिया गया और कई लोगों से नगद के अलावे जेवरात भी लूट लिये गये. ट्रक और टैंकरों के चालकों से भी मारपीट कर लूटा. अपराधी हथियार व डंडे से लैश थे. बताया जाता है कि इस क्रम में अपराधी यात्रियों को पुलिस में शिकायत नहीं करने की धमकी भी दे रहे थे.
पिकेट के पास घटना शर्मनाक : जगरनाथ
डुमरी विधायक जगरनाथ महतो ने कहा कि पुलिस पिकेट के पास घटना को अंजाम देकर अपराधी चले गये और पुलिस मूकदर्शक बनी रही. पिकेट के पास इस तरह की घटना होना ही शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि अपराधियों ने इतना बड़ा कदम उठाया इससे यह साबित होता है कि पुलिस के निकम्मेपन के कारण अपराधियों के हौसले बढ़े हैं.
पूजा के अवसर पर सड़क पर सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. श्री महतो ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के लिये ही पुलिस पिकेट की स्थापना हुई और यात्रियों की सुरक्षा के लिये पिकेट के जवान घटनास्थल पर जाने से ही कतराते रहे. पुलिस व प्रशासन आमलोगों के हितों की रक्षा व सुरक्षा के लिये है, पर इस घटना के बाद आमलोग पुलिस पर कैसे भरोसा करे.
मदद मांगने पर जवान बोले, ऊपर से ऑर्डर नहीं
घटना के समय कई वाहन डुमरी से गिरिडीह तो कुछ वाहन गिरिडीह से डुमरी की ओर जा रहे थे, लेकिन लूटपाट की घटना की भनक लगते ही ये लोग लटकट्टो पुलिस पिकेट व मधुबन मोड़ के पास रुक गये.
उन्होंने पुलिस पिकेट के जवानों को घटना की जानकारी दी और घटनास्थल पर जाने का आग्रह किया, लेकिन जवानों का कहना था कि ऊपर से ऑर्डर नहीं है. रात में अधिकारियों के आदेश के बिना हम कहीं नहीं जा सकते. आजसू के केंद्रीय समिति सदस्य संजय साहू ने बताया कि घटना के समय वह भी लगभग 9.35 बजे रात लटकट्टो पहुंचे. 40 मीटर की दूरी से उन्होंने देखा कि कई गाड़ियां रूकी हुईं है और एक सफेद रंग की बस सड़क पर आड़े-तिरछे खड़ी है.
लूटपाट की घटना समझ वह बैक गियर में ही पीछे लौटे और अपनी बोलेरो को पिकेट के पास रोका. कहा कि उन्होंने भी पिकेट के जवानों को यात्रियों को बचाने का काफी अनुरोध किया पर किसी ने नहीं सुनी. उन्होंने बताया कि जब वे पिकेट के पास थे तो घटनास्थल से डुमरी की ओर चार ट्रक, दो टेंकर, छह पिकअप भेन, दो छोटा हाथी और दो-तीन छोटे चारपहिया वाहन लूट का शिकार होकर लौट रहे थे.
नक्सल क्षेत्र में सत्यापन जरूरी : एसडीपीओ
एसडीपीओ अरविंद विन्हा ने कहा कि डेढ़ दर्जन वाहनों से लूटपाट नहीं हुई है. उन्हें अबतक जो सूचना मिली है उसके अनुसार दिलीप यादव नाम के एक युवक की बाइक लूटी गयी है.
कहा कि नक्सल क्षेत्र में घटना का सत्यापन करने के बाद ही पुलिस मूव करती है और इसके लिए उन्हें वरीय अधिकारियों को जानकारी देनी होती है. श्री विन्हा ने कहा कि पूजा के कारण लटकट्टो पुलिस पिकेट में पर्याप्त बल नहीं था और नक्सलियों के स्थापना दिवस का अंतिम दिन भी था, जिस कारण पुलिस सतर्कता बरत रही थी. एसडीपीओ ने कहा कि घटना को लोकल लड़कों ने अंजाम दिया है. घटना को अंजाम देकर अपराधी धावाटांड़ की तरफ से भाग निकले.
तो फिर पुलिस कैसे निपटेगी नक्सलियों से
एक ओर पुलिस के डीजीपी नक्सलियों का सफाया करने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नक्सलियों के भय से पुलिस घटनास्थल पर जाना भी नहीं चाहती.
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए पिकेट के जवान नहीं जायेंगे तो पुलिस प्रशासन को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि यात्रियों की सुरक्षा कौन करेगा. झाविमो केंद्रीय सचिव सुरेश साव कहते ने कहा कि सरकार में सिर्फ घोषणाएं होती हैं. नक्सलियों का सफाया करने का एलान किया जाता है और पुलिस यात्रियों की सुरक्षा में अपराधियों तक भी पहुंचना नहीं चाहती.
लटकट्टो पुलिस पिकेट का औचित्य क्या : गिरिडीह-डुमरी पथ पर लटकट्टो जंगल में जब पुलिस पिकेट स्थापित किया गया था,उस वक्त पिकेट उदघाटन के दौरान डीजीपी ने घोषणा कि थी की अब गिरिडीह के लोग टापू की जिंदगी नहीं जियेंगे.
साथ ही नक्सलियों की गतिविधि पर भी अंकुश लग सकेगा. डीजीपी डीके पांडेय ने कहा था मधुबन तीर्थस्थल को ध्यान में रखकर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पिकेट स्थापित किये जा रहे हैं,लेकिन अपराधियों ने जिस तरह से बेखौफ होकर लूटपाट की घटना को अंजाम दिया है उससे लटकट्टो पुलिस पिकेट के औचित्य पर ही सवाल खड़ा हो गया है. बता दें कि पिकेट स्थापना के पूर्व लटकट्टो जंगल में बराबर लूटपाट की घटना होथी, इसी पर अंकुश लगाने के लिए पिकेट की स्थापना लटकट्टो में की गयी थी.
गिरिडीह. जिस क्षेत्र में लूटपाट की घटना को बुधवार की रात में अंजाम दिया गया है वहां से 15 किमी के दायरे में चार-चार थाना व तीन-तीन केंद्रीय पुलिस की कंपनियां स्थापित हैं. लटकट्टो जंगल में घटनास्थल से मात्र तीन सौ मीटर की दूरी पर लटकट्टो पुलिस पिकेट है जहां आइआरबी की कंपनी तैनात है.
जबकि घटनास्थल से महज आठ किमी की दूरी पर मधुबन में सीआरपीएफ 154 बटालियन की कंपनी, लगभग 13 किमी की दूरी पर निमियाघाट के पास भी सीआरपीएफ 154 बटालियन की कंपनी तैनात की गयी है. इसी इलाके में चार थाने भी हैं.
घटनास्थल से लगभग सात किमी की दूरी पर पीरटांड़ थाना, नौ किमी की दूरी पर मधुबन थाना, 7 किमी की दूरी पर डुमरी थाना और 13 किमी की दूरी निमियाघाट थाना स्थित है. इस इलाके में प्राय: छापामारी किये जाने के भी दावे होते रहे हैं. यदि पुलिस इस क्षेत्र में सक्रिय है तो फिर अपराधियों ने इतना बड़ा साहस कैसे किया.
नक्सलियों का बहाना बनाकर यदि पुलिस घटनास्थल पर जाने से कन्नी काटती है तो फिर यात्रियों की सुरक्षा कौन करेगा. सवाल यह भी है कि यदि उक्त स्थल पर नक्सली घटना को अंजाम दे रहे होते तो क्या पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती, आखिर आमलोगों की सुरक्षा अपराधियों व नक्सलियों से कौन करेगा. हाइटेक के इस युग में क्या पुलिस को एक-एक घंटे तक आदेश का इंतजार करना पड़ सकता है, ऐसे कई सवाल हैं जो सवाल पुलिस को कटघरे में खड़ा करती है.

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