आरटीइ कानून के पालन को लेकर निजी विद्यालय व जिला प्रशासन सुस्त
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बंद नहीं हुए 87 विद्यालय, ले रहे हैं नये सत्र में नामांकन
आरटीइ कानून के पालन को लेकर निजी विद्यालय व जिला प्रशासन सुस्त बिना अनुमति के कई नये विद्यालय खोले गये गढ़वा : शिक्षा का अधिकार कानून के लागू हुए करीब सात साल बीतने के बाद भी इसका अनुपालन करने के प्रति निजी विद्यालयों की रुचि नहीं दिख रही है़ इन सात सालों में नियमानुसार जिले […]
बिना अनुमति के कई नये विद्यालय खोले गये
गढ़वा : शिक्षा का अधिकार कानून के लागू हुए करीब सात साल बीतने के बाद भी इसका अनुपालन करने के प्रति निजी विद्यालयों की रुचि नहीं दिख रही है़ इन सात सालों में नियमानुसार जिले के मात्र 18 विद्यालयों को ही मान्यता प्रदान की गयी है़ जबकि 15 विद्यालयों को मान्यता देने की अनुशंसा राज्य सरकार से की गयी है़ इसके अलावा अन्य विद्यालयों की स्थिति अधर में लटकी हुई है़ इस मामले को लेकर जनवरी महीने में जिला प्रशासन की ओर से कड़े निर्देश जारी करते हुए मान्यता लेने के लिए सभी विद्यालयों को आवेदन जमा करने का निर्देश दिया गया था़
साथ ही नये वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद जो विद्यालय मान्यता प्राप्त नहीं होंगे, उन्हें बंद करने के आदेश निर्गत किये गये थे़ वित्तीय वर्ष समाप्त हुए करीब 10 दिन बीतने के बाद भी न तो निजी विद्यालय इसके प्रति गंभीर हैं और न ही जिला प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करने के पक्ष में दिख रहा है़ उल्लेखनीय है कि जिले के 87 निजी विद्यालयों को बंद करने के आदेश भी जनवरी माह में ही दिये गये थे़ लेकिन इनमें से एक भी विद्यालय अभी तक बंद नहीं हुए हैं. इनमें 21 ऐसे विद्यालय थे, जिन्होंने आरटीइ के तहत मान्यता लेने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन जांच के दौरान उनके यहां आरटीइ के मापदंड के अनुसार व्यवस्था नहीं पायी गयी थी़ इस वजह से इन्हें सत्र 2017-18 से शैक्षणिक गतिविधि बंद करने के निर्देश दिये गये थे़ लेकिन वे विद्यालय भी संचालित हो रहे हैं. साथ ही उनमें नामांकन प्रक्रिया भी पूर्व की तरह चलायी जा रही है़ ऐसे में जो विद्यालय आरटीइ से मान्यता प्राप्त हैं, वे इस बात के लिए प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं कि जब पूर्व की स्थिति ही बनाये रखनी थी, तो मान्यता लेने की बाध्यता से संबंधित निर्देश क्यों जारी किये गये़ इधर अभिभावक भी उहापोह की स्थिति में दिख रहे हैं. उनके बीच यह भ्रम की स्थिति है कि वे किस विद्यालय में बच्चों का नामांकन करायें.
सुधार का एक मौका दिया गया है : डीएसइ
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक बृजमोहन कुमार ने बताया कि जिन 87 विद्यालयों को बंद करने के निर्देश दिये गये थे, उनमें से 17 विद्यालयों ने आरटीइ के तहत जांच करा कर मान्यता देने के लिये आवेदन दिया है़ जबकि वैसे 21 विद्यालय जिनको मापदंड पूरे नहीं करने के बाद बंद करने के लिए कहा गया था, उन्हें सुधार करने के लिए एक मौका प्रदान किया गया है़ इसके बावजूद यदि उनमें सुधार नहीं होता है, तो विद्यालय पर फाइन किया जायेगा़ उन्होंने कहा कि जिले में सभी विद्यालयों की जांच के लिये एक टीम गठित की जा रही है, जो विद्यालयों के संसाधनों व शैक्षणिक गतिविधियों की जांच करेगी़ उन्होंने कहा कि सभी निजी विद्यालयों को अपनी प्रवेश कक्षा में बीपीएलधारी 25 प्रतिशत बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना है़
किताब दुकान के रूप में बदल गये हैं निजी विद्यालय
इधर निजी विद्यालयों में एक बार फिर से स्कूल ड्रेस, किताब एवं नामांकन शुल्क व फी आदि के नाम पर व्यवसाय शुरू कर दिया गया है़ जिला मुख्यालय के नामी विद्यालय नये शैक्षणिक सत्र के शुरू होते ही विद्यालय को किताब दुकान के रूप में परिणत कर दिये हैं. बच्चों पर वहीं से किताब व कॉपी लेने का दबाव बनाया जा रहा है़ साथ ही नामांकन शुल्क व मासिक फी के निर्धारण पर भी कोई रोक-टोक नहीं है़ मनमाने ढ़ंग से फी की वसूली की जा रही है़ जिला प्रशासन की ओर से इस पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है़
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