विडंबना. चार साल से कागज पर ही चल रहा है आइटीआइ
बिना कक्षा किये ही विभिन्न ट्रेडों को मिल जाता है प्रमाण पत्र
उपयोग के अभाव में जंग खा रहे हैं तकनीकी उपकरण
जगह-जगह टूटने लगा है कॉलेज का भवन
भवनाथपुर :झारखंड सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में युवक-युवतियों को तकनीकी शिक्षा प्रदान कर उन्हें रोजगार देने का दावा पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है. इसका उदाहरण भवनाथपुर प्रखंड के झगराखांड़-जिरहुल्ला गांव में खोला गया आइटीआइ कॉलेज है. यहां करोड़ों की लागत से बने आइटीआइ कॉलेज चार सालों से सिर्फ कागजों पर ही संचालित किया जा रहा है.
यद्यपि आइटीआइ कॉलेज को कागज पर ही वर्ष 2016-18 के सत्र के लिए 63 विद्यार्थियों का नामांकन ले लिया गया था. लेकिन कॉलेज का औपचारिक उद्घाटन पांच दिसंबर 2017 को क्षेत्रीय विधायक भानु प्रताप शाही ने किया था. हास्यास्पद स्थिति यह है कि विभिन्न ट्रेड में छात्रों को बिना एक दिन भी कक्षा चलाये पास का प्रमाण पत्र दे दिया गया.
जबकि इधर युवक-युवतियों को इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर एवं डीजल मैकेनिक आदि की शिक्षा देने के लिए करोड़ों रुपये के उपकरण उपयोग के अभाव में जंग खा रहे हैं. चार साल में अभीतक आइटीआइ कॉलेज में न तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही छात्रों के लिए पेयजल की सुविधा. सरकार की उपेक्षा व देखभाल के अभाव में कॉलेज की बिल्डिंग भी जगह-जगह से टूटने लगी है.
शुरू के समय ही इस कॉलेज में छात्रों को तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई कराने को लेकर गढ़वा में पदस्थापित शिक्षक के तौर पर फीटर अनुसेवक विजय कुमार राम और अनुसेवक हेरमन ठिठियो का प्रतिनियोजन किया गया है. इन्हें सप्ताह में यहां दो दिन आना है. लेकिन दोनों शिक्षक कॉलेज में एक भी छात्र की उपस्थिति नहीं होने की बात कहकर कभी भी कॉलेज नहीं आते हैं, जबकि संबंधित विभाग के उप निदेशक दीपक कच्छप को इस कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया. लेकिन वे रांची में रहते हैं.