धुरकी (गढ़वा) : बीमारी, गरीबी और कर्ज से तंग आकर शिव कुमार बैठा (35) ने पहले पत्नी और दो बेटियों की हत्या कर दी, फिर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. गढ़वा जिले के धुरकी थाना क्षेत्र के रक्सी गांव के हरठवा टोला में रविवार रात को यह हृदयविदारक घटना हुई. लोगों को साेमवार की सुबह इसकी जानकारी मिली. दरअसल, सुबह में शिव कुमार के घर के कुएं के पास बड़ी बेटी तन्या कुमारी (10) का शव दिखा.
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बीमारी व कर्ज से तंग युवक ने पत्नी, बेटियों को मार दे दी जान
धुरकी (गढ़वा) : बीमारी, गरीबी और कर्ज से तंग आकर शिव कुमार बैठा (35) ने पहले पत्नी और दो बेटियों की हत्या कर दी, फिर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. गढ़वा जिले के धुरकी थाना क्षेत्र के रक्सी गांव के हरठवा टोला में रविवार रात को यह हृदयविदारक घटना हुई. लोगों को साेमवार की […]
इसके बाद लोगों ने कुएं में झांक कर देखा, तो पत्नी बबीता देवी (30) व बेटी श्रेया कुमारी (08) का शव तैरता दिखा. वहीं, घर के पास अमरूद के पेड़ से शिव कुमार का शव लटकता पाया. लोगों ने तुरंत धुरकी पुलिस को सूचना दी.
मौके पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को पोस्टमार्टम के लिए गढ़वा भेज दिया. इसी दौरान गढ़वा एसपी शिवानी तिवारी भी मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली. पुलिस के अनुसार, प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि शिव कुमार ने पहले पत्नी बबीता देवी, दोनों बेटियों तन्या और श्रेया की हत्या की. फिर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता लगेगा.
चारपाई के नीचे से मिला सुसाइडल नोट
पुलिस की पड़ताल में शिवकुमार के घर के अंदर चारपाई के नीचे से एक सुसाइडल नोट मिला. जिसमें लिखा था कि यह फैसला हम सभी की सहमति से लिया जा रहा है. इसमें उसके माता-पिता अथवा किसी भाई का कोई दोष नहीं है. सुसाइडल नोट में शिव कुमार के हस्ताक्षर भी हैं. पुलिस सुसाइडल नोट की भी जांच कर रही है.
घर से अलग रहता था परिवार
घटना की सूचना पर पहुंचे शिव कुमार के पिता रामचंद्र बैठा का रो-रो कर बुरा हाल था. उन्होंने बताया कि बेटा इंटरमीडिएट पास था. उसका कभी परिवार के किसी सदस्य से झगड़ा नहीं होता था.
उसने खुद ही मां-बाप व भाइयों से अलग रहने का फैसला किया था. खेती करके परिवार चलाता था. उन्होंने कभी पति-पत्नी के बीच भी झगड़ा होते नहीं देखा. पिता के अनुसार, शिव को दो साल से कैंसर था. उसका इलाज रांची में चल रहा था. वहीं, पत्नी बबीता देवी भी अक्सर बीमार रहती थी.
उसका इलाज बनारस में चल रहा था. बीमारी व इलाज में खर्च के कारण शिव आर्थिक रूप से टूट चुका था. उसपर करीब चार लाख रुपये महाजन का कर्ज था. वहीं, पत्नी बबीता ने कैश फॉर बैंक से जुड़ कर कर्ज लिया था, जिसे वह भर नहीं पा रही थी. शिव कुमार ने एक नन बैंकिंग फर्म से भी 1.50 लाख रुपये कर्ज लिया था. कर्ज वसूली के लिये उसके कर्मचारी अक्सर उनके घर आते थे.
इन परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शिव कुमार ने अपनी तीन एकड़ जमीन बेचनी भी चाही थी, लेकिन सीएनटी की वजह से जमीन की ब्रिकी नहीं हो पा रही थी. इससे पति-पत्नी मानसिक रूप से तनाव में थे. पिता ने बताया कि साेमवार को शिव को अपने इलाज के लिए रांची जाना था, लेकिन रविवार तक पैसे की व्यवस्था नहीं हो सकी.
परिजनों को सरकारी सहायता मिलेगी : बीडीओ
घटना की जानकारी मिलने के बाद धुरकी बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा घटना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने पूरी घटना की जानकारी ली और मृतक के पिता को दाह-संस्कार के लिये पांच हजार रुपये दिये. साथ ही अन्य सरकारी योजना का लाभ देने का आश्वासन दिया.
आयुष्मान का कार्ड नहीं बना था
रक्शी पंचायत के बीडीसी ने बताया कि शिव कुमार 15 दिन पूर्व बनारस से इलाज करा कर लौटा था. 12 अगस्त को रांची जाना था. उसका आयुष्मान का कार्ड नहीं बन पाया था. इस कारण उसे स्वास्थ्य विभाग की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. उसका लाल कार्ड बना हुआ था. इससे वह राशन का उठाव भी कर रहा था. साथ ही सरकारी योजना से भूमि समतलीकरण, गाय शेड और सिंचाई कूप भी मिला हुआ था.
गढ़वा. धुरकी थाना क्षेत्र के रक्सी गांव के हरठवा टोला की घटना
पिता बोले : दो साल से कैंसर से जूझ रहा था शिवकुमार, रांची में चल रहा था इलाज
उसकी पत्नी भी बीमार रहती थी बनारस से हो रहा था इलाज
इलाज के लिए लिया था कर्ज
दो माह से नहीं आ रही थी नींद : एसडीपीओ
शिवकुमार के परिवार के सभी चार सदस्यों के सामूहिक मौत की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे श्रीबंशीधर नगर के एसडीपीओ नीरज कुमार ने बताया कि शिव कुमार दो साल से बीमार था. उसे दो महीने से नींद नहीं आने की समस्या भी थी. इसे लेकर वह तनाव में था. उसने कुछ दिन पूर्व बनारस में अपने सिर का चेकअप भी कराया था. हालांकि यह घटना कैसी घटी, पुलिस अनुसंधान कर रही है.
प्रभात अपील
जिंदगी अनमोल है. परेशानियां व खुशियां जिंदगी के दो पहलू हैं. लेकिन, परेशानियों से डर कर जीवन समाप्त करने का फैसला कतई उचित नहीं है. प्रभात खबर अपील करता है कि जीवन से प्रेम करें. परेशानियों से निकलने की राह तलाशें. उससे हार मान कर अति आवेग में कोई भी अनुचित कदम न उठाएं.
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