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पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सर्वेक्षण में पाया गया छह पीपीएम तक फ्लोराइड
पीयूष तिवारी, गढ़वा : 13 लाख की आबादीवाले गढ़वा जिले के एक लाख से ज्यादा लोग फ्लोराइड से दूषित जल का सेवन कर रहे है़ं जिले के 14 प्रखंड के कुल 107 गांवों के 393 टोले में स्थित प्राकृतिक एवं कृत्रिम जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित पीपीएम से ज्यादा है़ इन टोले में करीब […]
पीयूष तिवारी, गढ़वा : 13 लाख की आबादीवाले गढ़वा जिले के एक लाख से ज्यादा लोग फ्लोराइड से दूषित जल का सेवन कर रहे है़ं जिले के 14 प्रखंड के कुल 107 गांवों के 393 टोले में स्थित प्राकृतिक एवं कृत्रिम जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित पीपीएम से ज्यादा है़
इन टोले में करीब एक लाख लोग रहते हैं. लोग फ्लोराइड दूषित जल का सेवन न करें, इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से की गयी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है़ जिला प्रशासन की ओर से फ्लोराइड प्रभावित 393 टोलों में से मात्र 126 में ही डी फ्लोराइडेशन कीट लगाया गया है़
लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि 126 टोलों में भी यह कीट सिर्फ चापाकल में ही लगाया गया है़ प्राकृतिक जलस्रोत कूप आदि का प्रभावित जल लोग न पीयें, इसके लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका है़ जिला प्रशासन की ओर से कराये गये सर्वेक्षण में यह गंभीर बात सामने आयी है कि कई टोलों का पानी इतना प्रदूषित है कि उसके सेवन से साल-दो साल में ही लोग हड्डीजनित गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते है़ं
भंडरिया प्रखंड के 71 टोले हैं सर्वाधिक प्रभावित
जो प्रखंड सर्वाधिक रूप से फ्लोराइड से प्रभावित हैं, उसमें भंडरिया प्रखंड के 71 टोले, भवनाथपुर के 27, चिनियां के 39, धुरकी के 52, गढ़वा के तीन, केतार के सात, मझिआंव के तीन, मेराल के 75 टोलों के अलावा, रमकंडा, विशुनपुरा आदि प्रखंड शामिल है़ं उल्लेखनीय है कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1 से 1.50 पीपीएम के बीच होनी चाहिए़
इससे ज्यादा होने पर ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया, हड्डियों का कैंसर, महिलाओं में बांझपन, मस्तिष्क क्षति, अल्जाइमर रोग, थायरॉइड जैसे रोग जन्म लेते है़ं प्रभावित जल का लगातार सेवन करने से हड्डियां चटक जाती है तथा लोग समय से पहले ही बूढ़े हो जाते है़ं जिला प्रशासन के सर्वेक्षण में जो प्रभावित क्षेत्र मिले हैं, उनमें 1.51 से लेकर छह पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी है़
डी-फ्लोराइडेशन कीट लगाया गया है : कार्यपालक अभियंता
इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता आशुतोष कुमार ने बताया कि फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र के लोग दूषित पानी का सेवन न करें, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है़ अधिकांश स्थानों पर डी-फ्लोराइडेशन किट लगाया गया है़ साथ ही लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है़ अन्य शेष स्थानों पर भी जो चापाकल हैं, उसमें कीट लगाने का प्रयास किया जा रहा है़
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