गढ़वा: शहर के परिसदन के पास दानरो नदी तट पर छठ घाट पर दानरो नदी का पानी शुद्ध नहीं रहने के कारण छठव्रतियों को नदी में पानी रहने के बावजूद उन्हें अर्ध्य देने अथवा स्नान करने में परेशानी हो सकती है. विदित हो कि परिसदन के पास पिछले कई सालों से चिनिया रोड के सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु छठ पूजा करते आ रहे हैं. श्रद्धालुओं को छठव्रत करने में वहां स्थित सीआरपीएफ कैंप एवं पुलिस लाइन से काफी सहयोग मिलता है. जब से परिसदन के पास सीआरपीएफ 172 बटालियन का कैंप बना है, सीआरपीएफ के जवान बड़ी श्रद्धा से दानरो नदी के दोनों तट पर छठ करनेवाले व्रतियों को साफ-सफाई से लेकर रोशनी आदि की व्यवस्था करते रहे हैं.
जवानों को रात भर छठ घाट पर व्रतियों की सुविधा का ख्याल के साथ निगरानी करते देखा जाता है. लेकिन व्रतियों को छठ करने में असुविधा भी यहां सीआरपीएफ कैंप की वजह से ही हो रही है. छठ घाट के ठीक उपर स्थित सीआरपीएफ कैंप का शौचालय बना हुआ है.
शौचालय का पानी निकलकर सीधे नदी की धारा में गिरता है. इतना ही नहीं, वहां जवानों के खाने में बचे मांस सहित अन्य अवशेष पदार्थ भी नदी तट पर ही फेंके जाते हैं, जिसे कुत्ते जैसे जानवर नदी तक पहुंचा देते हैं. इसके कारण दानरो नदी का पानी गंदा हो जा रहा है. विशेषकर पवित्रता का पर्व छठ व्रत के लिये तो इस पानी का उपयोग बिलकुल ही नहीं किया जा सकता है. विदित हो कि इस साल दानरो नदी में पर्याप्त पानी होने से व्रतियों को छठ करने में काफी सुविधा होगी. दानरो नदी का पानी इस समय दोनों तटों से होकर गुजर रहा है और दोनों ही तट पर अस्थायी छठ घाट है, जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु रात भर रहकर सूर्य भगवान की उपासना करते हैं.
कल्याणपुर छठ घाट के लोगों ने अपने घाट की ओर शौचालय का पानी और मांस और कचड़ा से मिला हुआ गंदा पानी न जाय, इसके लिये धार को मोड़ते हुये व्यवस्था बना ली है. लेकिन परिसदन के पासवाले घाट के पास यह व्यवस्था नहीं बन पा रही है. इसके कारण छठव्रतियों को परेशानी हो सकती है अथवा उन्हें नदी के उसपार धारा में जाकर स्नान अथवा अर्ध्य देना होगा. गौरतलब है कि परिसदन छठ घाट पर निर्माणाधीन सूर्य मंदिर और बखरवा बाबा का भी पवित्र स्थल है. इसको देखते हुये शौचालय का पानी और खाना का अवशेष पदार्थ से होनेवाले जल प्रदूषण आगे के लिये भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इतना ही नहीं है बल्कि इस गंदा पानी का असर नीचे के घाटों तक भी हो रहा है, क्योंकि गढ़वा शहर के सभी छठ घाट इसके नीचे ही अवस्थित हैं.