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सरकारी उपेक्षा से बांग्ला हाशिये पर

झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति की बैठक चाकुलिया : चाकुलिया के शिल्पी महल स्थित काली मंदिर प्रांगण में गुरुवार की शाम झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति की बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता पतित बेरा ने की. बैठक में बंग भाषी समिति के सदस्यों ने कहा कि अविभाजित बिहार में बांग्ला भाषा मुख्य संपर्क भाषा थी. पठन […]

झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति की बैठक

चाकुलिया : चाकुलिया के शिल्पी महल स्थित काली मंदिर प्रांगण में गुरुवार की शाम झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति की बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता पतित बेरा ने की. बैठक में बंग भाषी समिति के सदस्यों ने कहा कि अविभाजित बिहार में बांग्ला भाषा मुख्य संपर्क भाषा थी. पठन पाठन का माध्यम बांग्ला भाषियों के लिए बांग्ला थी. दक्षिण बिहार में अनगिनत सरकारी स्तर पर बांग्ला माध्यम के स्कूल संचालित थे. बांग्ला सिलेबस नियमित रूप से हुआ करता था.
80 के दशक में परिवर्तन शुरू हुआ. राज्य सरकार ने बांग्ला भाषा की घोर उपेक्षा की. बांग्ला भाषा की किताबें छपनी बंद हो गयी. सदस्यों ने कहा कि बांग्ला भाषी के विद्यार्थी मजबूरन हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने लगे. बंगला माध्यम विद्यालय सरकारी उदासीनता के कारण हिंदी माध्यम विद्यालय में रूपांतरित होने लगा. प्राथमिक शिक्षा जो मातृ भाषा में होनी चाहिए, वह बंद हो गयी. बंग भाषियों की समस्याओं के समाधान के लिए झारखंड वंग भाषी समन्वय समिति की ओर से आगामी 20 नवंबर को चाकुलिया के अग्रसेन भवन में सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. सम्मेलन में झारखंड के विभिन्न प्रांतों से बांग्ला भाषी शामिल होंगे.
मौके पर पशुपति बांसुरी को स्वागत समिति का अध्यक्ष बनाया गया. वहीं कार्य निर्वाहक समिति के अध्यक्ष मनींद्र नाथ पालित, जवाहर लाल महतो को उपाध्यक्ष, उपदेष्टा समिति के अध्यक्ष पतित पावन बेरा, अभय कुमार महंती, रवींद्र नाथ विश्वास, चित्त रंजन घोष को बनाया गया. इस बैठक में एनएन साव, अमित राय, मनींद्र नाथ पाल, निमाई बेरा, कृष्णा पाल, गौतम दास, संजय घोष, सुबोध पोलाई समेत अन्य उपस्थित थे.

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