पटमदा : बोड़ाम के छोटा बांगुड़दा में शनिवार को नाली निर्माण को लेकर महंती परिवार व अन्य ग्रामीणों के बीच हुर्इ मारपीट मामले में रविवार को बोड़ाम पुलिस ने दोनों ओर से 25 लोगों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया है.
छोटा बांगुड़दा गांव में हुई मारपीट मामले में अब भी महंती परिवार व अन्य ग्रामीणों के बीच तनाव है. विदित हो कि इस मारपीट घटना में शनिवार को गांव के 15 लोग घायल हुए थे. महंती परिवार की ओर से अमल महंती के लिखित बयान पर अन्य आठ ग्रामीणों के खिलाफ केस किया गया है.
जिसमें कन्हार्इ भगत, गुणाधर दास, रूटु मुदी, गोपाल चंद्र सिंह, छुटू दास, इंद्र नारायण सिंह, बुद्धेश्वर सिंह, कृष्णा पद सिंह शामिल है. जबकि दूसरी अोर अन्य ग्रामीणों की ओर से पशुपति सिंह के लिखित ब्यान पर महंती परिवार के वंशी गोपाल,राम जीवन महंती, मोहित चंद्र महंती, निर्मल महंती, सुनील महंती, समर महंती, मंशाराम महंती, गोराचंद्र महंती, नारू गोपाल महंती, विवेक कुमार महंती, सुमन महंती, दिलीप कुमार महंती, फड़ी उर्फ संजय महंती, निलकंठ महंती, भास्कर महंती, सुभेंदु महंती के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने गांव के दोनों पक्ष के साथ की बैठक : रविवार को इंस्पेक्टर पीपीएल खालखो, थाना प्रभारी वीरेंद्र टोप्पो भारी संख्या में पुलिस बल के साथ छोटा बांगुड़दा गांव पहुंचे. गांव में महंती परिवार व अन्य ग्रामीणों के बीच हुए विवाद को लेकर दोनों पक्ष के साथ बैठक की. बैठक में कहा कि गांव में आपसी सामंजस्य के बाद ही नाली व सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो पायेगा. प्रभारी श्री टोप्पो ने कहा कि दोनों ही पक्ष के बुद्धिजीवी लोग पुरानी बातों को भूलकर मामले को सुलझाये, नहीं तो पुलिस कर्रवार्इ को मजबूर होगी.
शराब का नाम सुनते ही पापा और बेटे का चेहरा आ जाता है सामने
हितैशी हैप्पीनेस होम से वापस तो आ गया. एक साल तक घर में ही बैठा रहा
. कई बार शराब पीने का भी मन हुआ. लेकिन, जब भी शराब पीने की काेशिश करता, तो काउंसेलर पुष्पीता की बातें सामने आ जाती थीं. मार्च ,2014 से जून ,2015 तक घर पर ही ऐसे बैठा रहा. जॉब नहीं मिल रही थी. क्योंकि, शराब पीने से मेरा कांफिडेंस खत्म हो गया था. मेरी मैरेज लाइफ भी लगभग खत्म थी. पत्नी सविता मुझसे तलाक लेना चाहती थी. पत्नी को मनाने का काम शुरू किया. वो इतना डर गयी थी कि मेरे पास वापस नहीं आना चाहती थी.
उसे डर था कि बेटे मेहुल को मैं कुछ न कर दूं. मैं उसे कंविंस करने की कोशिश करने लगा. कई महीने कोशिश करने के बाद वो थोड़ा कंविंस हुई और पांच दिनों के लिए पटना आयी. मुझसे मिल कर उसे थोड़ा संतोष हुआ कि अब मैं शराब नहीं पीता हूं और बदल गया हूं. लेकिन, वो यह कह कर फिर वापस जमशेदपुर चली गयी कि उसे जॉब छोड़ने में दो तीन महीने लग जायेंगे. इस बीच मैं पत्नी का इंतजार करता रहा. अगस्त, 2015 में पत्नी मेरे पास वापस आ गयी. मुझे ताकत मिली. इस बीच मुझे एक दवा कंपनी में काम मिल गया. वहीं, मेरी दीदी वंदना और जीजा जी बिजनेस में हाथ बंटाने को कहने लगे. उनके कपड़े के कई शोरूम पटना में हैं. मुझे कपड़े की दुकान का कोई अनुभव नहीं था. फिर मैंने तीन महीने कपड़े की दुकान में ट्रेनिंग ली. इसी बीच खाजपुरा में एक शोरूम खोलना था. इस शोरूम की पूरी जिम्मेवारी मुझे दे दी गयी. इसके बाद मैंने यहीं से अपनी नयी जिंदगी शुरू की. अभी लगभग छह महीने से मैं यहीं पर रहता हूं. अभी भी मेरे पास मेरे पुराने दोस्तों के फोन आते हैं. शराब पीने के लिए वो बुलाते हैं. लेकिन, जब भी शराब पीने का ख्याल आता है, तो पापा का मजबूर चेहरा, जो हर दिन इस आशा में रहता था कि एक दिन उनका बेटा शराब छोड़ देगा, सामने आ जाता है. वहीं बेटा मेहुल जो कहीं मुझे देखकर शराब पीना न शुरू कर दे, ये सोच कर ही मैं डर जाता हूं. आज शराब का साथ नहीं है, लेकिन मेरे पास पूरा परिवार है. मैं खुश हूं. मेरा पूरा परिवार मेरी हर खुशी के लिए हमेशा तैयार रहता है. अब तो दो साल से भी अधिक शराब को छोड़े हो गया. मन में ख्याल भी कम आता है. अब पूरा ध्यान परिवार पर देना चाहता हूं.