घाटशिला : घाटशिला के दाहीगोड़ा रामकृष्ण मठ में शनिवार की शाम विवेक ज्योति मासिक पत्रिका रामकृष्ण मिशन आश्रम रायपुर के संपादक स्वामी प्रपत्यानंद महाराज की अध्यक्षता में स्वामी रामकृष्ण परमहंस देव की 181 वें जन्मोत्सव के मौके पर रामकृष्ण परमहंस देव की जीवनी और उपदेश विषय पर धर्म सभा आयोजित की गयी. धर्म सभा में स्वामी प्रपत्यानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य को किसी भी तरह की पराधीनता को स्वीकार नहीं करना चाहिए. बौद्धिक, धार्मिक और सामाजिक पराधीनता किसी भी मनुष्य के लिए दुखदायी होता है.
धार्मिक अनुष्ठान से ही वास्तविकता की प्राप्ति होती है. पराधीनता से व्याकुलता का बोध होता है. रामकृष्ण परमहंस देव का व्यावहारिक उद्देश्य संशय को समाप्त करना था. उन्होंने कहा था कि सभी धर्म और संप्रदाय परमात्मा के नजदीक ले जाने के साधन हैं. भगवान राम ने जब जन्म लिया. उनके सामने कई चुनौतियां थीं. संशय समाज को निकलने का काम कर रहा था. इश्वर पर से लोगों का विश्वास उठ रहा था. कुसंगति और विकृति समाज में बढ़ गयी थी. इन सभी चुनौतियां का सामना स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने किया. स्वामी ने दक्षिणेश्वर मंदिर में साधना की. उन्होंने कहा था सत्संग करो.
भजन और धार्मिक कार्यों में शरणागत रहो. तभी इश्वर की प्राप्ति होगी. परमात्मा आनंद के स्त्रोत हैं. भक्ति राजमार्ग के समान है. इसी से परमात्मा की अनुभूति होती है. धर्म सभा को बांग्ला में रामकृष्ण मिशन कोलकाता गोलपार्क से आये मुख्य वक्ता स्वामी चिदरूपानंद महाराज ने भी संबोधित किया. स्वागत गीत दीप महाराज ने प्रस्तुत किया. तबला पर उनका साथ परतत्वानंद महाराज ने दिया. स्वागत भाषण मठ के अध्यक्ष नटराजन महाराज ने प्रस्तुत किया.