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कच्ची लकड़ी काटने पर गांव से निकाला जायेगा

90 की दशक से सुखना पहाड़ में वनों की रक्षा कर रहा कालाझोर वन सुरक्षा समिति गालूडीह : घाटशिला रेंज के कालाझोर, भूतियाकोचा, लोवागोड़ा, राजाबासा, पीड्राबांद मौजा से सटे सुखना पहाड़ में ग्रामीणों की सजगता से करीब तीस हेक्टेयर में साल वन लहलहा रहा है. कालाझोर वन सुरक्षा समिति के त्याग, संघर्ष और रतजगा से […]

90 की दशक से सुखना पहाड़ में वनों की रक्षा कर रहा कालाझोर वन सुरक्षा समिति

गालूडीह : घाटशिला रेंज के कालाझोर, भूतियाकोचा, लोवागोड़ा, राजाबासा, पीड्राबांद मौजा से सटे सुखना पहाड़ में ग्रामीणों की सजगता से करीब तीस हेक्टेयर में साल वन लहलहा रहा है. कालाझोर वन सुरक्षा समिति के त्याग, संघर्ष और रतजगा से यह संभव हो पाया है. समिति के अध्यक्ष दुलाल चंद्र हांसदा ने कहा कि सिर्फ भाषण देने से नहीं, बल्कि त्याग से पर्यावरण की रक्षा होगी. 90 के दशक से कालाझोर वन सुरक्षा समिति सुखना पहाड़ में वनों की रक्षा में मुस्तैद है. इसका परिणाम है कि आज सुखना पहाड़ में हजारों की संख्या में साल वृक्ष सुरक्षित है. यहां वनों की कटाई पर कठोर कानून है.

कच्चे वृक्षों को काटते पकड़े जाने पर जुर्माना लगता है. गांव से बहिष्कार भी किया जा सकता है. इस कड़े कानून के कारण ही आज तक साल वनों की रक्षा हो रही है. पुरुषों के साथ महिलाएं भी प्रति दिन वनों की रक्षा के मुस्तैद रहती है. ग्रामीण परंपरागत हथियारों के साथ जंगल की तलहटी में समय-समय पर जुलूस निकाल कर वनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं. ग्रामीणों की सजगता से लकड़ी माफिया इस जंगल में नहीं घुसते हैं. कालाझोर वन सुरक्षा समिति के जुड़े सदस्य पर्यावरण दिवस के दिन साल वृक्षों में धागा बांध कर वृक्षों को बचाने का संकल्प भी लेते हैं.

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