29.4 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

संताली भाषा के लिए देवनागरी लिपि सहज व उपयोगी

संताल परगना स्टूडेंट यूनियन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के बैनर तले ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. एनइपी 2020 के तहत संताली में शिक्षा विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों से वक्ता व श्रोता पहुंचे थे

एनइपी के तहत संताली में शिक्षा विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित, बोलीं पूर्व प्रोवीसी प्रतिनिधि, दुमका संताल परगना स्टूडेंट यूनियन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के बैनर तले ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. एनइपी 2020 के तहत संताली में शिक्षा विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों से वक्ता व श्रोता पहुंचे थे. शुभारंभ मुख्य अतिथियों ने सिदो कान्हू मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया. यूनियन के अध्यक्ष विनोद हांसदा ने स्वागत भाषण दिया. संताली विभागाध्यक्ष डॉ सुशील टुडू ने संगोष्ठी के महत्व पर प्रकाश डाला. मधुपुर कॉलेज मधुपुर के अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रो होरेन हांसदा ने अपनी बातों को रखा. अभिभाषण में चाय चंपा, कोंयडा बादोली व विभिन्न सभ्यताओं का उल्लेख करते हुए संताल जनजाति और संताल परगना के स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताते हुए संताली भाषा, सभ्यता, संस्कृति को इतिहास की दुनिया में प्राचीनतम बताया. असिस्टेंट प्रोफेसर ठाकुर प्रसाद मुर्मू ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से संताली भाषा में संताली देवनागरी व ओलचिकी लिपि का ध्वनि वैज्ञानिक अध्ययन पर व्याख्यान दिया. तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते संताली के लिए देवनागरी लिपि को उपयोगी बताया. कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल के डाॅ संतोष बेसरा ने ओलचिकी लिपि से साहित्यिक एवं सामाजिक प्रभाव के बारे में व्याख्यान दिया. ओलचिकी लिपि के हानिकारक अवयवों पर प्रकाश डालते संताली के स्वरूप बदलने की आशंका जाहिर की. उन्होंने कहा कि ओलचिकी लिपि कई मापदंडों पर खरा नहीं उतरती है. कुछ लोग बेकार का बखेड़ा खड़ा करके राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए संताल समाज को बांटने एवं संताल परगना के बहुसंख्यक संतालों को पीछे धकेलने के प्रयास में जुटे हैं. गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्रति कुलपति डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि संताली भाषा और साहित्य को समृद्ध बताया. कहा कि इसका साहित्यिक पहचान तथा प्रकाश संताल परगना से ही प्रारंभ हुई थी. सर्वप्रथम संताली भाषा की पढ़ाई तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के अधीन एसपी कॉलेज दुमका में 1978 में प्रारंभ की गयी थी. लेखन तथा पठन-पाठन देवनागरी लिपि से ही शुरुआत हुई थी. देवनागरी लिपि बहुत ही सहज व सरल है. यह वैज्ञानिक गुणों पर खरा उतरती है. हमारे विद्वानों ने इसकी महत्व तथा गुणों के आधार पर ही विशाल साहित्य की नींव रखी थी. कहा कि सभी वक्ताओं को सुनने के बाद मैं कह सकती हूं कि संताली भाषा में देवनागरी लिपि का चलन बहुत ही उपयुक्त है. इससे संताल, संताली व संताल परगना का अस्तित्व जुड़ा है. इससे निश्चित तौर पर संताली और साहित्य का विकास दिन दुनी रात चौगुनी रफ्तार से होता रहेगा. गोष्ठी को सामाजिक कार्यकर्ता रासका हेंब्रम, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सुनील कुमार बेसरा ने भी संबोधित किया. मंच का संचालन संताल परगना स्टूडेंट यूनियन के सक्रिय सदस्य रेखा टुडू व जितेश मरांडी ने संयुक्त रूप किया. धन्यवाद भाषण यूनियन के सचिव संजय हेंब्रम ने दिया. संगोष्ठी केा सफल बनाने में संताल परगना स्टूडेंट यूनियन के सदस्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. मौके पर डॉ शर्मिला सोरेन, अंजूला मुर्मू, मेरी मार्गरेट टुडू, डॉ सुमित्रा हेंब्रम, डॉ अविनाश हासदा, प्रो सनोज स्टेफन हेंब्रम, डॉ प्रीति किरण हासदा, सिद्धोर हांसदा, डॉ लीना मुर्मू, प्रो सनातन मुर्मू, निर्मल मुर्मू, डॉ रमण मोहित मरांडी, डॉ किलीस मरांडी आदि मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

स्मार्टफोन की प्राइवेसी

क्या आप मानते हैं कि आपके स्मार्टफोन की प्राइवेसी खतरे में है?


ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel