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फौजदारी दरबार में खंडित मूर्तियां बदलेगी

बैठक. मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक में लिया गया निर्णय मंदिर न्यास सदस्य की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिसमें खंडित मूर्तियों को बदलने की चर्चा की गयी. बासुकिनाथ : मंदिर परिसर में स्थित विभिन्न देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति के जगह नयी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी. इसके लिए मंदिर न्यास समिति सदस्य सह पूर्व […]

बैठक. मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक में लिया गया निर्णय

मंदिर न्यास सदस्य की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिसमें खंडित मूर्तियों को बदलने की चर्चा की गयी.
बासुकिनाथ : मंदिर परिसर में स्थित विभिन्न देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति के जगह नयी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी. इसके लिए मंदिर न्यास समिति सदस्य सह पूर्व सांसद अभयकांत प्रसाद की अध्यक्षता सोमवार को बैठक हुई. जिसमें मंदिर प्रभारी सह बीडीओ संजय कुमार दास एवं पंडा धर्मरक्षिणी सभा अध्यक्ष मनोज पंडा सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे. सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि वैदिक रीति-रिवाज से नयी मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा आठ 8 मई सोमवार को विधि-विधान पूर्वक की जायेगी.
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के रविकांत मिश्रा ने बताया कि मंदिर परिसर स्थित सभी खंडित प्रतिमा का विसर्जन गंगा सागर में किया जायेगा. बनारस से विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्ति कुछ माह पूर्व ही मंदिर प्रबंधन द्वारा ले आयी गयी है. मूर्ति प्रतिष्ठा के लिए छह मई से ही धार्मिक अुनष्ठान मंदिर में शुरू हो जायेगा. प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व मंदिर प्रांगण से 108 कलश लेकर महिलाओं द्वारा गाजे बाजे के साथ नगर भ्रमण किया जायेगा. देवी देवताओं की भव्य प्रतिमा का भी भ्रमण कराया जायेगा. पंडितों ने बताया कि मूर्ति अधिष्ठापन हेतु छह मई शनिवार को अधिवाश पूजा किया जायेगा. पंडितों के मंत्र ध्वनि के बीच गणेश अंबिका पूजन, मंडप पूजन, जलाधिवाश, अन्नाधिवाश, गन्नाधिवाश पूजा वैदिक रीति से संपन्न होगी. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर न्यास समिति द्वारा की जायेगी.
आठ मई को विधि-विधान से होगी प्राण प्रतिष्ठा
बनारस से मंगायी गयी है
13 देवी-देवताओं की मूर्तियां
बनारस से 13 देवी-देवताओं की संगमरमर की आकर्षक मूर्ति मांगायी गयी है. इसके बावजूद सिर्फ माता तारा की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कराया गया. ज्ञात हो कि शास्त्रों में खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है. मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मूर्ति बनारस से मंगवाया गया है. मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पंडा धर्मरक्षिणी सभा के नेतृत्व में किया जाना है. इस बार फिर सावन के महीने में कांवरियों को खंडित प्रतिमा का पूजा नहीं करना होगा.
कौन-कौन मूर्ति आयी है
मंदिर प्रबंधन के अनुसार बनारस से जुलाई 2016 को ही माता काली, भगवान शंकर, माता अणपूर्णा भगवान शंकर सहित, माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु, कार्तिकेय, कीर्तिमुख, तीन बसाहा एवं माता तारा की संगमरमर की आकर्षक मूर्ति लायी गयी है. मौके पर सारंग झा, विश्वम्भर राव, मंदिर प्रबंधक चंद्रशेखर झा, सुभाष राव, सोमनाथ यादव, वैद्यनाथ पांडेय, मीठू राव, संदीप पांडेय, दामोदर पंडा आदि उपस्थित थे.

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