दुमका : वीर बाजाल सांस्कृतिक आखड़ा का स्थापना दिवस रविवार को मनाया गया. समारोह में मुख्य अतिथि समाजसेवी मेरीनीला मरांडी व डॉ सुशील मरांडी, विशिष्ट अतिथि झारखंड कला केंद्र के प्राचार्य गौरकांत झा, देवेंद्र टुडू, विसेंट मुमरू व नायके सोरेन थे. समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा अमर शहीद सिदो कान्हू के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया.
संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि शिक्षिका श्रीमती मुमरू ने सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए इस तरह के आखड़ा को विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कहा कि कलाकारों को कला की प्रस्तुति के एवज में प्रमाण पत्र मिलना चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें इसका लाभ मिल सके. वहीं अतिथि डॉ मरांडी ने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर का बाजार बनाने की जरूरत है, ताकि यह सुंदर लगे व प्रसिद्धि प्राप्त करे और लोगों में इसका आकर्षण बढ़े. देवेंद्र टुडू ने कहा कि नृत्य संगीत, नाटक आदि कला समाज को निखारता है, समाज इससे पहचाने जाते हैं. गौरकांत झा ने कला को विकसित करने पर जोर दिया.
उन्होंने बताया कि सरकार कला को विकसित करने के लिए प्रयासरत है. आने वाले दिनों में कलाकार बेकार नहीं होगें, उन्हें रोजगार से जोड़ा जायेगा. वहीं विंसेंट मुमरू व नायके सोरेन ने संस्कृति को जीवित रखने की वकालत की. आखड़ा के सचिव सह संरक्षक मानवेल सोरेन ने दो वर्षो में आखड़ा की उपलब्ध्यिों को गिनाते हुए कहा कि ग्रामीण कलाकार आखड़ा के माध्यम से साक्षर हुए और कला का प्रदर्शन करते हुए अलग-अलग क्षेत्रों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने में सफल रहे हैं.