संवाददाता, दुमकाइंस्टीट्च्यूट फॉर मोटिवेटिंग सेल्फ इंपलायमेंट (इमसे) स्वयंसेवी संस्था द्वारा आत्मा सभागार दुमका में कृषि विषयक जिला स्तरीय सेमिनार का आयोजन मंगलवार को किया गया, जिसमें हरित क्रांति खेती के नाम पर किसानों रासायनिक खादों और कीटनाशकों के ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किये जाने से बदलते भौगोलिक स्थिति, पर्यावरण को नुकसान तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर पड़ रहे खतरनाक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गयी. कार्यशाला को ऐग्रेरियन एसिस्टेंस एसोसियेशन के सचिव सत्येंद्र कुमार सिंह, समाजसेवी डॉ सीएन मिश्रा, सेवानिवृत्त शिक्षिका डॉ वाणीसेन गुप्ता, डॉ छाया गुहा आदि ने संबोधित किया. वक्ताओं ने कहा कि उपजाऊ मिट्टी को बरबाद करने को लेकर रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशियों के इस्तेमाल को अब बस किया जाना चाहिए. यह पर्यावरण के साथ- साथ हमारी सेहत को भी बिगाड़ रहा है. देशी बीजों को छोड ़कर हाईब्रिड बीजाों एवं रासायनिक खादों के उपयोग करने पर अधिक से अधिक पानी का भी उपयोग करना पड़ता है. कार्यशाला के माध्यम से संयोजक निखिल मोइति ने शहर के प्रबुद्ध नागरिक, कृषि विज्ञानी, प्रगतिशील किसानों, अध्यापकों आदि से संरक्षणशील खेती को प्रचार प्रसार के लिए सहयोग मांगा तथा परंपरागत कृषि के पक्ष में सरंक्षण के लिए कृषि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने का आग्रह किया.———————–फोटो11-डीएमके-इमसे कार्यशाला 1 2
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इमसे ने आयोजित की जिलास्तरीय कार्यशाला// रासायनिक खाद एवं कीटनाशी का इस्तेमाल खतरनाक//
संवाददाता, दुमकाइंस्टीट्च्यूट फॉर मोटिवेटिंग सेल्फ इंपलायमेंट (इमसे) स्वयंसेवी संस्था द्वारा आत्मा सभागार दुमका में कृषि विषयक जिला स्तरीय सेमिनार का आयोजन मंगलवार को किया गया, जिसमें हरित क्रांति खेती के नाम पर किसानों रासायनिक खादों और कीटनाशकों के ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किये जाने से बदलते भौगोलिक स्थिति, पर्यावरण […]
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