दुमका : सिदो-कान्हू मांझी परगना बैंसी के बैनर तले दुमका जिले के 32 गांवों को शहर में शामिल करने का विरोध किया है. ज्ञात हो कि कैबिनेट के एक फैसले में कहा गया था कि दुमका जिले के 32 गांवों को मास्टर प्लान के तहत दुमका शहर में शामिल किया जायेगा. जिले में इस फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ है. ग्रामीणों ने आज एक रैली निकाली. इस रैली की शुरुआत सिदो-कान्हू मुर्मू चौक से दुमका बाजार के विभिन्न मार्गो से होते हुए उपायुक्त कार्यालय पहुंची. वहां पर ग्रामीणों ने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री और गवर्नर के नाम गांवों के नाम ग्रामसभा कर मेमोरेंडम दिया गया और मांग किया कि मास्टर प्लान के तहत गांवों को शहरों में जोड़ा नहीं जाये.
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ग्रामीणों ने दुमका के सांसद शिबू सोरेन के प्रतनिधि विजय कुमार सिंह और प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि को भी मेमोरेंडम दिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि कैबिनेट का यह फैसला झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों के हितों के खिलाफ है. जिन गांवों को जोड़ा जा रहा है. 85-90 प्रतिशत आबादी का मुख्य आजिविका अभी भी कृषि पर निर्भर है. गांवों से शहर को सीधा जोड़ने का मतलब है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 85-90 प्रतिशत आबादी का मुख्य आजिवीका कृषि पर निर्भर है.
धनबाद में भी हुआ था विरोध
इससे पूर्व झारखंड के अन्य जिलों में भी गांवों को शहर में शामिल करने के खिलाफ विरोध के मामले सामने आये है. धनबाद जिले में तो इस मामले को लेकर ग्रामीणों और मेयर के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई है. इस दौरान मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल भड़क उठे. मेयर चंद्रशेखऱ अग्रवाल उस वक्त जामाडोबा इलाके के एक गांव में सड़क का शिलान्यास करने पहुंचे थे.