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Dhanbad Land Case : आमाघाटा मौजा के सुगियाडीह इलाके में सरकारी जमीन की गड़बड़ी का मामला, इन कारोबारियों पर कसी गयी नकेल

उन्होंने दावा किया है कि उनके पूर्वज कोका मोची के नाम से इस जमीन की बंदोबस्ती राज्य सरकार द्वारा की गयी थी. उन्हाेंने जमीन घोटाले की जांच कर रही टीम को बंदोबस्ती तथा लगान रसीद के कागजात पेश करते हुए अतिक्रमण मुक्ति के लिए चल रहे अभियान से मुक्त करने को कहा है.

Jharkhand News, Dhanbad News धनबाद : धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा की मोची बस्ती में वासगीत पर्चा की जांच होगी. इस पर्चा के आधार पर जमीन खरीदने का दावा करनेवाले कोयला कारोबारी कुंभनाथ सिंह, बिल्डर अनिल सिंह एवं पप्पू सिंह की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. जांच रिपोर्ट के बाद यहां आगे की कार्रवाई होगी. मामले में राजस्व विभाग के कर्मियों की गर्दन भी फंस सकती है. दरअसल, धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा में सरकारी भूमि की पहचान के लिए भू-खंडों का सीमांकन हो रहा है. इस इलाके के पूरण रविदास उर्फ मंगल रविदास ने खाता संख्या 28, प्लॉट नंबर 187 में 70 डिसमिल जमीन की बंदोबस्ती का पर्चा होने का दावा किया है.

उन्होंने दावा किया है कि उनके पूर्वज कोका मोची के नाम से इस जमीन की बंदोबस्ती राज्य सरकार द्वारा की गयी थी. उन्हाेंने जमीन घोटाले की जांच कर रही टीम को बंदोबस्ती तथा लगान रसीद के कागजात पेश करते हुए अतिक्रमण मुक्ति के लिए चल रहे अभियान से मुक्त करने को कहा है.

बंदोबस्ती पर्चा पर उठे सवाल : एडीएम (विधि-व्यवस्था) चंदन कुमार ने इस मामले में पेश बंदोबस्ती पर्चा की जांच करने का निर्देश भूमि सुधार उप समाहर्ता को दिया है. उन्हाेंने लिखा है कि पेश बंदोबस्ती पर्चा पर अनुमंडल कार्यालय, धनबाद का नाम अंकित है, जबकि मुहर अंचल कार्यालय, धनबाद का लगा हुआ है. पर्चा के शीर्षक में हुकुमनामा लिखा हुआ है, जो कि राजा या जमींदार द्वारा दिया जाता था, न कि अनुमंडल पदाधिकारी या अंचलाधिकारी द्वारा.

पर्चा के अनुसार, प्लॉट नंबर 187 में 70 डिसमिल तथा प्लॉट नंबर 161 में 1.50 एकड़ यानी कुल 2.20 एकड़ भूमि की बंदोबस्ती का दावा है. 187 नंबर प्लॉट काफी बड़ा है. इसमें 13 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि है. दोनों प्लॉट अलग-अलग स्थानों पर है. यह पूरी तरह संदेहास्पद है.

अपर समाहर्ता कार्यालय के नाम से भी निकला पर्चा :

आमाघाटा मौजा की गैर आबाद खाता संख्या 28 में दो एकड़ भूमि का एक बंदोबस्ती पर्चा कोका मांझी के नाम से उनके वंशजों द्वारा पेश किया गया है. यह अपर समाहर्ता धनबाद के कार्यालय से निर्गत दिखाया जा रहा है. इस पर्चा में भी हुकुमनामा लिखा हुआ है, जबकि बंदोबस्ती पर्चा न तो अपर समाहर्ता निर्गत करते हैं, न ही किसी राजस्व पदाधिकारी को हुकुमनामा जारी करने का अधिकार है.

पूर्व राजस्व कर्मी की भूमिका संदिग्ध : एडीएम ने मामले में वर्ष 1955-56 से 2008-09 तक की लगान रसीद काटने पर भी सवाल उठाया है. उन्हाेंने कहा कि 50-52 वर्षों की लगान रसीद एक साथ बगैर किसी वरीय अधिकारी के आदेश के काटा जाना गलत है. तत्कालीन राजस्व कर्मी की भूमिका अति संदिग्ध है. राजस्वकर्मी की भूमिका की भी जांच करने को कहा गया है. डीसीएलआर को सभी बिंदुओं पर जांच कर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है.

वासगीत पर्चा के आधार पर मोची बस्ती की जमीन खरीदी

डीसीएलआर करेंगे पर्चा और लगान की जांच

पर्चा की वैधता की भी जांच

कैसी-कैसी गड़बड़ी

बंदोबस्ती पर्चा पर अनुमंडल कार्यालय धनबाद लिखा है, पर मुहर अंचल कार्यालय का

बंदोबस्ती पर्चावाली जमीन खरीद ली है कुंभनाथ सिंह, अनिल सिंह और पप्पू सिंह ने

हुकुमनामा भी अपर समाहर्ता कार्यालय से निर्गत दिखाया गया है

बड़े कारोबारियों ने खरीदी है जमीन

एडीएम की तरफ से जारी पत्र के अनुसार, बंदोबस्ती पर्चावाली जमीन की बिक्री नहीं हो सकती. इसी 70 डिसमिल जमीन को आधार बना कर अनिल सिंह (लेमन चिल्ली), कुंभनाथ सिंह, पप्पू सिंह सहित कई लोगों ने कई एकड़ भूमि की खरीद-बिक्री की. इन सब भू-खंडों की पहचान सरकारी जमीन के अतिक्रमण के रूप में हुई है. सब पर इश्तेहार चिपकाया गया है.

Posted By : Sameer Oraon

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