धनबाद: अपने पद का दुरुपयोग कर कंपनी को नुकसान पहुंचाने के मामले में अपर जिला व सत्र न्यायाधीश तृतीय अशोक कुमार पाठक की अदालत ने गुरुवार को बीसीसीएल के पूर्व निदेशक प्रकाश नाराय़ण माथुर व मुख्य महाप्रबंधक सुरेंद्र मोहन डिंडी को भादवि की धारा 477(ए) व पीसी एक्ट की धारा 13 (2) सह पठित 13 (1) (सी) में दोषी पाकर तीन -तीन वर्ष की कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी.
जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर छह माह साधारण कारावास की सजा काटनी पड़ेगी. अदालत ने सजायाफ्ताओं को झारखंड उच्च न्यायलय रांची में अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी.
क्या था मामला : सीबीआइ ने कुस्तौर क्षेत्र में छापेमारी कर कोल शॉर्टेज पाया था. कुस्तौर क्षेत्र के पूर्व महाप्रबंधक राम लखन गुप्ता (अब दिवंगत) को आरोपी बनाया था. सजायाफ्ताओं पर यह आरोप था कि उन लोगों ने जान बूझकर राम लखन गुप्ता की अनुशासनात्मक कार्रवाई संबंधित फाइल को 23 नवंबर 93 से 25 फरवरी 95 तक दबा कर रखा और अभियुक्त गुप्ता को दिनांक 31 मई 95 को सेवानिवृत होने दिया. सेवानिवृत्ति के पश्चात उसे सभी लाभ प्राप्त हुए .
जिससे कंपनी को 93 हजार 512 रुपये का नुकसान हुआ. सीबीआइ की ओर से विशेष अभियोजक सरवर जाफरी ने पैरवी की. घटना के बाद सीबीआइ ने 16 सितंबर 96 को आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. सीबीआइ के पूर्व इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा ने 27 अगस्त 20 01 को आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित कर दिया. यह मामला आरसी केस नंबर 10ए/96 डी से संबंधित है.
पूर्व सीजीएम की अग्रिम जमानत अर्जी पर बहस : कोल स्टॉक में गड़बड़ी कर कंपनी को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपी बीसीसीएल बस्ताकोला के तत्कालीन सीजीएम राम उजागर पांडेय की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम पीके उपाध्याय की अदालत में हुई. बचाव पक्ष से डीके पाठक ने बहस की. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के एपीपी मुकेश कुमार सिन्हा ने जमानत का जोरदार विरोध किया. अदालत ने उभय पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया. आरोपी जब सीजीएम 21 मई 09 से 30 सितंबर 11 तक जब बस्ताकोला में पदस्थापित थे, तब कोल स्टॉक में 4 लाख 24 हजार 871 मिट्रिक टन कोयला कम पाया गया. इससे बीसीसीएल को 48 करोड़, 86 लाख,1650 रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ. सीबीआइ की औचक जांच के दौरान इस मामले का परदाफाश हुआ था. सीबीआइ ने इस कांड में कई अधिकारियों को आरोपी बनाया है. यह मामला आरसी केस नंबर 13 (ए)/12 डी से संबंधित है.