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जेपी आंदोलन के सिपाही श्याम सुंदर नहीं रहे

धनबाद. जेपी आंदोलन के सिपाही एवं समाजसेवी श्याम सुंदर प्रसाद का निधन सोमवार की रात पीएमसीएच में हो गया. वह 74 वर्ष के थे. वह किडनी रोग से पीड़ित थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. अभी हाल ही में उनकी आंखों का ऑपरेशन कोलकाता मे हुआ था. प्रसाद अविवाहित थे तथा जीवन […]

धनबाद. जेपी आंदोलन के सिपाही एवं समाजसेवी श्याम सुंदर प्रसाद का निधन सोमवार की रात पीएमसीएच में हो गया. वह 74 वर्ष के थे. वह किडनी रोग से पीड़ित थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. अभी हाल ही में उनकी आंखों का ऑपरेशन कोलकाता मे हुआ था.
प्रसाद अविवाहित थे तथा जीवन पर्यंत समाज के कार्यों में लगे रहे. वह अपने भाई-बहनों व उनके बच्चों का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं.

उनका अंतिम दाह संस्कार मटकुरिया घाट पर आज किया गया. मौके पर भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष हरि प्रकाश लाटा, विजय झा, अंजली, किरण, सत्य प्रकाश, रतन चंद मानव, राजेंद्र कुमार, राजेंद्र राही, गणेश दीवान वर्मा, राजीव रंजन सिंह, प्रो शशि नाथ तिवारी, समेत सैकड़ों लोग तथा उनके परिजन शामिल थे. इधर लोकनायक जय प्रकाश स्मारक समिति के लोगों ने गांधी नगर स्थित उनके निवास स्थान पर उनका अंतिम दर्शन किया तथा उन्हें श्रद्धाजंलि दी. मौके पर समिति के प्रो नरेश कुमार अंबष्टा, वीरेंद्र ठाकुर, लाल वर्मा, राजेंद्र राही, केबी सहाय, दिलीप सिन्हा मौजूद थे.

जीवनवृत्त : श्याम सुंदर सात भाई बहनों में पांचवें नंबर पर रहे श्याम सुंदर के पिता शीतल प्रसाद ब्रिटिश रेलवे गोमो में ट्रेन एक्जामनर थे. श्री प्रसाद का जन्म 1942 को हुआ था. मैट्रिक करने के बाद आइटीआइ में ट्रनर ट्रेड किया. 1974 में जय प्रकाश नारायण के आह्वान के बाद व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में कूद पड़े और इंदिरा गांधी और उनके कुशासन के खिलाफ डटकर मुकाबला किया. आपातकाल के दौरान वे गिरफ्तार कर लिए गये और उन्हें धनबाद जेल से हजारीबाग सेट्रल जेल भेजा गया.

लेकिन हजारीबाग जेल में सात साथियों के साथ उन्हें भागलपुर सेंट्रल जेल भेजा गया जहां वह रामानंद तिवारी, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, ताराकांत प्रकाश, प्रो धीरज कुमार सरीखे छात्र नेताओं के साथ थे. 18 माह जेल में रहे. आपातकाल के पहले बिहार विधान सभा घेराव के दौरान पटना में धनबाद के चार साथियों विश्वनाथ बागी, राजेंद्र कुमार, प्रभात मिश्रा, विनोद कुमार के साथ उन्हें गिरफ्तार कर केंद्रीय कारा हजारीबाग भेजा गया. उस दौरान 45 दिनों तक जेल में रहे. विनोबा भावे के भूदान आंदोलन का भी धनबाद जिले में नेतृत्व किया. वर्ष 1996 में श्याम सुंदर प्रसाद सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे

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